अक्षय बम को 17 साल पुराने केस में बड़ा झटका, कोर्ट ने 'हत्या के प्रयास' की धारा हटाने से किया इनकार

धर्मेंद्र कुमार शर्मा

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम ने मारा था पलटा

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कांग्रेस छोड़कर थाम लिया था बीजेपी का दामन, धारा 307 का चल रहा है मामला

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बीजेपी में जाने के बाद भी नहीं मिल रही है अक्षय कांति बम को राहत

Akshay Bam News: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए अक्षय कांति बम की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. अक्षय कांति बम ने अपने खिलाफ दर्ज हुए 307 के मामले को हटाने को लेकर एक याचिका अपर सत्र न्यायालय में दाखिल की थी, जिसे सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इसके साथ ही केस पर आगे की सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तारीख तय की है. 

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अक्षय क्रांति बम ने ऐन वक्त पर कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. बताया जा रहा है कि अक्षय कांति बम पर कोर्ट के आदेश पर खजराना पुलिस ने 307 जैसी गंभीर धारा में प्रकरण दर्ज किया था. इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अक्षय कांति बम ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का दामन थामा लिया था, जबकि वह इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी थे.

हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिवीजन याचिका लगाई

इसके बाद अक्षय कांति बम ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, वहां से उन्हें कोर्ट ने अग्रिम जमानत मिल गई थी. अक्षय कांति बम ने अपने ऊपर दर्ज 307 जैसे गंभीर मामले की रिवीजन के लिए अब सत्र न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. इस पूरे मामले में अपर सत्र न्यायालय में अक्षय कांति बम की ओर से रिवीजन याचिका लगाई गई थी, जिस पर कोर्ट ने कहा कि जेएमएफसी कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता है. 

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17 साल पुराने मामले में फंसे हैं अक्षय कांति बम

फिलहाल रिवीजन याचिका दायर होने के कारण अक्षय कांति बम पर पर 17 साल पुराने एक 307 जैसे गंभीर मामले में अक्षय कांति की ओर से याचिका दायर की गई है. अक्षय कांति बम की याचिका पर अब 21 अगस्त को सुनवाई होगी. अक्षय कांति बम पर कोर्ट ने 17 साल पुराने इस मामले में 307 जैसी गंभीर धारा बढ़ाई गई थी. इस पूरे मामले को लेकर उन्होंने रिवीजन याचिका दायर की. वहीं अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा की कोर्ट के समक्ष रिवीजन याचिका पर सुनवाई हुई, जिसे हटाने से कोर्ट ने इनकार कर दिया है.

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