क्या BJP के सुपर 8 ‘बॉस’ फंस गए कांग्रेस के चक्रव्यूह में, दिग्गजों के ग्राउंड पर इतनी खमोशी क्यों?

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MP Election 2023: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उनके समर्थक और फॉलोअर ‘बॉस’ के उपनाम से पुकारते हैं. ग्वालियर-चंबल की सड़कों पर उनके समर्थकों द्वारा जो बैनर-होर्डिंग्स लगवाए जाते हैं, उन पर आप नरेंद्र सिंह तोमर को बॉस ही संबोधित होते हुए देखेंगे. इसी तरह बीजेपी की दूसरी सूची में जो हैवीवेट कैंडिडेट हैं, वे भी कहीं न कही अपने क्षेत्रों में उनक समर्थकों की नजर में बॉस ही समझे जाते रहे हैं और इस विधानसभा चुनाव के लिए इन समर्थकों को अपने-अपने बॉस से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन इस बार ताे पार्टी ने इन सभी बॉस को ही मैदान में उतार दिया.

ऐसे में टिकट की आस लगाए बैठे इनके समर्थक और फॉलोअर को झटका लगा है और शायद कार्यकर्ताओं की इस पीड़ा को विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे इन हैवीवेट कैंडिडेट को भी इसका अहसास है. यही कारण है कि कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गज बीजेपी नेता इंदौर 1 सीट से टिकट मिलने पर खुश होने के बजाय अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बोलते हैं कि उनको तो चुनाव लड़ना ही नहीं था और टिकट मिलने से उनको हैरानी हुई है.

आपको बता दें कि बीजेपी की दूसरी सूची में केंद्रीय नेतृत्व ने जिन 7 सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया है, उनमें से 3 तो केंद्रीय मंत्री हैं. एक अन्य पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव हैं. जिन 7 सीटों पर बीजेपी ने अपने हैवीवेट कैंडिडेट उतारे हैं, उनमें से 6 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. ऐसे में बीजेपी के इन दिग्गजों को हारी हुई सीटों को भारी बहुमत से जिताने की बड़ी जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व ने दे दी है.

हर सीट पर समझें, किस दिग्गज के सामने क्या है चुनौती

दिमनी सीट

दिमनी सीट पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट दिया गया है. वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस के विधायक रविंद्र सिंह तोमर हैं जो क्षेत्र की तोमर राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं. इस सीट पर तोमर वोटर निर्णायक भूमिका में हैं और इस बार नरेंद्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस एक बार फिर से तोमर नेता को ही सामने खड़ा कर सकती है. अन्य दलों से भी तोमर कैंडिडेट सामने आ सकते हैं. ऐसे में नरेंद्र सिंह तोमर के लिए इस सीट को जीतना न सिर्फ चुनौती है बल्कि उनको इस सीट के अलावा ग्वालियर-चंबल की अन्य सीटों पर भी अपने प्रभाव से बीजेपी की जीत सुनिश्चित कराना होगी.

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नरसिंहपुर

दमोह से सांसद और मोदी कैबिनेट में पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से बीजेपी ने टिकट दिया है. वर्तमान में इस सीट पर उनके ही भाई जालम सिंह पटेल विधायक हैं. लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस के लखन पटेल से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिली थी. ये सीट और इसके आसपास का पूरे इलाके में लोधी वोटर बड़ी संख्या में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. प्रहलाद पटेल खुद लोधी जाति से हैं और उन पर बुंदेलखंड-बघेलखंड तक नरसिंहपुर के अलावा अन्य सीटों को भी जिताने की जिम्मेदारी है. लोधी पॉलीटिक्स यहां चरम पर है और कांग्रेस भी लोधी कैंडिडेट के साथ बीजेपी को चुनौती दे सकती है.

सीधी

सीधी से रीती पाठक बीजेपी की सांसद हैं. वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी के ही केदारनाथ शुक्ला विधायक हैं. लेकिन सीधी पेशाब कांड के बाद से बीजेपी के वर्तमान विधायक के साथ ही पार्टी की स्थिति क्षेत्र में कमजोर हो गई है. कांग्रेस ने बीजेपी पर आदिवासी विरोधी होने को लेकर एक लंबा अभियान यहां चला रखा है. ऐसे में रीती पाठक पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वे क्षेत्र में पार्टी की जो छवि पेशाब कांड की वजह से खराब हुई है, उसे सुधारें और साथ में सीधी के साथ ही आसपास की सीटों पर भी अपने होने का प्रभाव डाले. लेकिन फिलहाल तो उनके लिए वर्तमान विधायक केदारनाथ शुक्ला ही चुनौती बने हुए हैं, क्योंकि टिकट कट जाने को लेकर उन्होंने अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर दी है.

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सतना

सतना सीट पर यहां से वर्तमान सांसद गणेश सिंह को विधानसभा में उतार दिया है. वर्तमान में सिद्धार्थ कुशवाहा यहां से विधायक हैं. लेकिन गणेश सिंह के लिए बड़ी चुनौती बनेंगे बीजेपी के बागी नारायण त्रिपाठी जो यहां पर विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर एक बड़ा अभियान चलाए हुए हैं. नारायण त्रिपाठी विंध्य जनता पार्टी बनाने का ऐलान भी कर चुके हैं. कांग्रेस बीजेपी के अंदर की इस गुटबाजी का लाभ उठाने की कोशिश करेगी.

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जबलपुर पश्चिम

इस सीट पर यहां से सांसद और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को पार्टी ने मैदान में उतार दिया है. इनके सामने वर्तमान में कांग्रेस विधायक तरूण भनोट हैं. तरूण भनोट कमलनाथ की 15 महीने की सरकार में वित्त मंत्री थे. क्षेत्र में उनको मजबूत कैंडिडेट माना जा रहा है और राकेश सिंह के सामने कांग्रेस यहां तरूण भनोट जैसा ही हैवीवेट कैंडिडेट ला सकती है.

इंदौर 1

सबसे दिलचस्प मुकाबला इसी सीट पर है. कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी ने यहां टिकट दे दिया है. लेकिन इनके सामने इस सीट पर वर्तमान कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला है. संजय शुक्ला के पिता स्व. विष्णु प्रसाद शुक्ला को कैलाश विजयवर्गीय का राजनीतिक गुरू माना जाता है. खुद संजय शुक्ला दावा करते हैं कि कैलाश विजयवर्गीय को राजनीति में आगे बढ़ाने वाले उनके पिता ही थे. कैलाश विजयवर्गीय तो अपनी पीड़ा ही खुलकर बता चुके हैं कि उनको चुनाव लड़ना नहीं था. अब टिकट देकर पार्टी ने इंदौर ही नहीं बल्कि मालवा के पूरे क्षेत्र में बीजेपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय के कंधों पर डाल दी है. बहुत संभावना है कि कांग्रेस इनके सामने वर्तमान विधायक संजय शुक्ला को रिपीट करेगी, क्योंकि क्षेत्र में उनकी पॉजीशन काफी मजबूत बताई जा रही है.

निवास और गाडरवाड़ा पर भी बीजेपी को चुनौती

निवास सीट पर आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते को बीजेपी ने टिकट दिया है और इनके सामने चुनौती हैं वर्तमान कांग्रेस विधायक अशोक मर्सकोले. गाडरवाड़ा से बीजेपी ने राव उदय प्रताप सिंह को मौका दिया है और इनके सामने चुनौती हैं वर्तमान कांग्रेस विधायक सुनीता पटेल. इन सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका निभाएंगे. कांग्रेस इन सीटाें जल्द अपने उम्मीदवार घोषित करेगी.

बीजेपी की खामोशी पर कमलनाथ का तंज

बीजेपी की दूसरी सूची आने के बाद से जिस तरह से दिग्गजों के गढ़ में खामौशी है, उस पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ तंज कस रहे हैं. वे ट्वीट कर कहते हैं कि ‘मप्र भाजपा में,  एक चौथाई भाजपाई किनारे हैं, एक चौथाई बेचारे व बेसहारे हैं,  एक चौथाई नैतिक रूप से हारे हैं और एक चौथाई दिल्ली के मारे हैं. कुल मिलाकर मप्र में भाजपा चुनावी गणित में शून्य की ओर बढ़ रही है और राजनीतिक रूप से शून्यता की ओर’.

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