CM मोहन यादव ने बजट सत्र से पहले इन मंत्रियों को क्यों सौंप दिए अपने विभाग? जानें
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Mohan Yadav News: मध्य प्रदेश में हुए एक बड़े घटनाक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने विभाग अलग-अलग मंत्रियों को सौंप दिए हैं. अब चर्चा इस बात की हो रही है कि विधानसभा बजट सत्र से पहले मुख्यमंत्री ने आखिर क्यों ये कदम उठाया? मध्य प्रदेश में इसकी काफी चर्चा हो रही है. बता दें कि मध्य प्रदेश का विधानसभा सत्र सात फरवरी से शुरू हो रहा है, जो 19 फरवरी तक चलेगा. इसके लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव के विभागों के कार्य के लिए मंत्रियों की जिम्मेदारी तय की है.
सीएम मोहन यादव ने अपने विभागों के कामकाज के लिए मंत्रियों को नियुक्त किया है. जाे बजट सत्र के दौरान सीएम की तरफ से जवाब देंगे. मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 7 फरवरी से शुरू होकर 19 फरवरी तक चलेगा. सत्र के दौरान ये मंत्री विभागों की तरफ से जवाब देंगे.
CM मोहन यादव के पास 10 से ज्यादा विभागों की जिम्मेदारी
दरअसल, सीएम मोहन यादव के पास सामान्य प्रशासन विभाग, नर्मदा घाटी विकास विभाग, जनसंपर्क विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, विधि विभाग, गृह एवं जेल विभाग, प्रवासी भारतीय और विमानन विभाग, खनिज विभाग, और आनंद विभाग एवं लोक सेवा प्रबंधन विभाग हैं. इस तरह से सीएम के पास सबसे ज्यादा करीब 10 विभागों की जिम्मेदारी है.
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इन मंत्रियों को दी गई जिम्मेदारी
सीएम मोहन यादव ने सामान्य प्रशासन विभाग की कृष्णा गौर, धर्मेंद्र सिंह लोधी को नर्मदा घाटी विकास विभाग और जनसंपर्क विभाग, गौतम टेटवाल को विधि एवं विधायी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, नरेंद्र शिवाजी पटेल को गृह विभाग और जेल विभाग, प्रतिमा बागरी को प्रवासी भारतीय विभाग और विमानन विभाग, दिलीप अहिरवार को खनिज विभाग औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग, राधा सिंह को आनंद विभाग और लोक सेवा प्रबंधन दिया गया है.
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राज्यपाल ने अचानक मंत्रियों को बुलाया मिलने
इधर, भोपाल से एक बड़ी खबर आ रही है कि कैबिनेट बैठक से पहले राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सीएम मोहन यादव और उनके मंत्रियों को मिलने के लिए बुलाया था. इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. अचानक हुई इस मुलाकात को सीएम मोहन यादव ने सामान्य मुलाकात बताया है. वहीं मोहन सरकार में मंत्री प्रहलाद पटेल ने राज्यपाल से मुलाकात को लेकर कहा कि मंत्री परिषद को महामहिम ने बुलाया है, अच्छी परंपरा है. लेकिन साफ नहीं हो पाया कि आखिर राज्यपाल ने अचानक सीएम और उनके मंत्रियों को मिलने के लिए क्यों बुला लिया.
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