मध्य प्रदेश में गरमाया दुकानों पर 'नेम प्लेट' लगाने का मुद्दा, पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर का बड़ा बयान

रवीशपाल सिंह

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प्रज्ञा सिंह ठाकुर (फाइल फोटो)
प्रज्ञा सिंह ठाकुर (फाइल फोटो)
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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भोपाल लोकसभा सीट की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक बार फिर चर्चा में हैं.

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इस बार उन्होंने दुकानों पर नेम प्लेट लगाने को लेकर हिंदुओं को सलाह दी है.

MP News: देश भर में इस समय दुकानों के बाहर नेमप्लेट लगाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. उत्तरप्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नेमप्लेट को लेकर खबरें सामने आ रही हैं.  मामले में भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की भी एंट्री हो गयी है. रविवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए नाम लिखने की बात कही है. 

साध्वी प्रज्ञा ने अपने पोस्ट में लिखा, 'मेरा हर हिन्दू से आव्हान है कि अपनी दुकान, अपने-अपने प्रतिष्ठान पर अपना नाम अवश्य लिखें. अब जो लिखेगा वही हिन्दू और जो नाम न लिखे वह हिन्दू नहीं. नाम लिखने से आपको कोई नहीं रोक सकता क्योंकि देश आपका ही है. फिर सब समझदार हैं.'  

प्रज्ञा के बयान पर कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की है. अभिनव ने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी, उत्तराखंड और एमपी सरकारों को इस मामले में नोटिस दिए जाने के बाद भी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर इस तरह का बयान पोस्ट कर समाज में नफरत का माहौल बनाना चाहती हैं. कोर्ट को मामले में संज्ञान लेना चाहिए.'

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नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में नेमप्लेट विवाद बढ़ने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इस दौरान कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले पर पर अंतरिम रोक  लगा दी, जिसमें कांवड़ रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को कहा गया था. कोर्ट ने कहा है कि दुकानदारों को अपना नाम या पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है.  कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को बस खाने का प्रकार बताना होगा. दुकानदार दुकान पर शाकाहारी या फिर मांसाहारी, किस प्रकार का खाना बेच रहे हैं, बस यह बताना होगा. 

इस संबंध में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही अदालत ने ये भी कहा है कि अगर याचिकाकर्ता अन्य राज्यों को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं तो उन राज्यों को भी नोटिस जारी किया जाएगा. इसके बाद मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट ने पिछले फैसले को बरकरार रखा है. 

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