BJP कार्यालय बना राजनीति का अखाड़ा, सांसद-विधायक आमने सामने, कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा
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MP Election 2023: मध्यप्रदेश में बीजेपी को लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ जहां पार्टी सब कुछ ठीक होने का दावा करती नजर आती है, ताे वहीं दूसरी तरफ उन दावों की पोल खुलती नजर आ जाती है. टिकट वितरण के बाद लगभग हर सीट पर कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं. लेकिन इस बार कुछ अलग देखने को मिला है. खंडवा में इंदौर के सांसद शंकर लालवानी के खण्डवा में भाजपा कार्यालय में बैठक लेने पहुंचे थे. उन्हीं के सामने ही स्थानीय विधायक देवेन्द्र वर्मा के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई.
दरअसल कल भाजपा कार्यालय में हुई एक बैठक में पार्टी की अंतर्कलह सामने आई है. स्थानीय भाजपा विधायक देवेन्द्र वर्मा और क्षेत्रीय सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही है. सांसद के समर्थक अब खुलकर विधायक वर्मा के खिलाफ मुखरित हो गए है. सांसद गुट से भी कुछ लोग अपनी दावेदारी कर रहे है लेकिन विधायक वर्मा के लगातार तीन बार से जीतने के कारण उनके टिकट की संभावना प्रबल है इसी से असंतुष्ट गुट में बैचेनी बढ़ रही है.
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विधायक और सांसद के कार्यकर्ताओं के बीच नारेबाजी
कल शाम खण्डवा भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने इंदौर के सांसद शंकर लालवानी आए हुये थे. तब उनके सामने शक्ति प्रदर्शन में दोनों गुटों ने नारेबाजी शुरू कर दी. पहले विधायक वर्मा के समर्थको ने उनके जिंदाबाद के नारे लगाए तो दूसरे गुट ने जवाब में विधायक मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिए. देखते ही देखते पूरे भाजपा कार्यालय का माहौल गर्मा गया. ये देख इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने बीच–बचाव कर हंगामा कर रहे कार्यकर्ताओं को समझाइश देकर शांत करवाया. इधर, इंदौर सांसद ने कहा कि “यह भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय है, यहां किसी के पक्ष में नारे नहीं लगे बल्कि भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नारे लगे है.
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ये अंतर्कलह भारी न पड़ जाए?
इस पूरे मामले को लेकर इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने सफाई पेश करते हुए कहा कि “ये शक्ति प्रदर्शन नहीं है, परिवार बड़ा है. सब को अपनी बात कहने का अधिकार है. भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सुनती है और आगे तक पहुंचाती है. कार्यकर्ताओ में उत्साह है. सभी कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. बहरहाल भाजपा नेता भले इसे सामान्य मामला बताये लेकिन यह बात वे भी समझ रहे है कि भाजपा का अनुशासन दरक रहा है. कार्यकर्ताओं की महत्वकांक्षाये अब मर्यादाओं के तटबंध तोड़ रही हैं. चुनाव के पहले इस अंतर्कलह से निजात नहीं पाई गई तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती है.
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