इन सीटों के कारण BJP को गंवानी पड़ी थी सत्ता! वोटिंग प्रतिशत ने फिर बढ़ाई बीजेपी-कांग्रेस की टेंशन
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MP Election Result 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों का परिणाम एक सप्ताह बाद आएगा. प्रदेश की जनता और तमाम राजनीतिक दलों को परिणामों को बेसब्री से इंतजार है. इस बार पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले अधिक मतदान हुआ है. इसी कारण दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती हैं. पिछले चुनाव में कुछ ऐसी सीटें थीं, जिन पर हार-जीत का अंतर महज 1 प्रतिशत ही था. वहीं इस बार इन सीटों पर ज्यादा तो कहीं कम मतदान हुआ है. इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है कि इन सीटों पर आने वाले दिनों में बदलाव देखने को मिले.
ग्वालियर-चंबल इलाके में बीजेपी को खासी मेहनत करनी पड़ी है. इसके बाद भी बड़े परिणाम की उम्मीद नहीं है. यहां की ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में हार जीत का फैसला महज 121 वोटों से हुआ था. इस सीट पर कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने बीजेपी के दिग्गज नेता और उस दौरान मंत्री रहे नारायण सिंह कुशवाह को हराया था. 2018 में इस सीट पर 58.18 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. जबकि इस बार यहां पर 63.77 प्रतिशत वोटिंग हुई है. ऐसे में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का फायदा किसे होगा, यह देखने वाली बात होगी. राजनीतिक जानकारों की माने तो इस सीट पर कुछ भी हो सकता है.
राजनगर सीट पर सबकी निगाहें
राजनगर सीट वोटिंग के दौरान प्रदेश समेत देशभर में चर्चा में बनी हुई थी. यहां कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थक सलमान की हत्या केस बीजेपी प्रत्याशी अरविंद पटेरिया पर दर्ज किया गया है. इस सीट पर भी पिछले चुनाव में बहुत कम मार्जिन से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. 2018 की तरह ही इस बार बीजेपी और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को रिपीट किया है. 2018 में इस सीट पर 66.36 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जबकि 2023 में यहां पर 73.30 प्रतिशत वोटिंग हुई है. जानकारों की माने तो इस सीट पर पूरे विवाद के बाद सिमपैथी वोट कांग्रेस को मिली है, जिसका हो सकता है कांग्रेस को खासा फायदा मिल जाए.
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दमोह से जयंत और अजय फिर मैदान में
दमोह विधानसभा सीट पर बीजेपी ने पूर्व गृहमंत्री जयंत मलैया को तो कांग्रेस ने वर्तमान विधायक अजय टंडन को मैदान में उतारा है. इस सीट पर पिदले विधानसभा चुनाव में जयंत मलैया को बहुत कम मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा था. तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के दलबदल के बाद हुए उपचुनाव में प्रत्याशी राहुल लोधी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा था. उस समय राहुल लोधी ने अपनी हार कारण गृहमंत्री जयंत मलैया और उनके बेटे को बताया था. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. कुछ समय बाद पार्टी में वापसी के बाद बीजेपी ने उन्हें फिर से मैदान में उतारा है. 2018 के चुनाव में दमोह सीट पर 75.27 वोटिंग हुई थी, जबकि 2023 में 74.22 प्रतिशत वोटिंग हुई है. इस बार यहां के परिणाम को लेकर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.
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जबलपुर उत्तर पर अभिलाष खिला पाएंगे कमल?
महाकौशल बीजेपी का गढ़ माना जाता है, यही कारण है कि कांग्रेस ने इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए अपने प्रचार अभियान की शुरुआत जबलपुर से की थी. यहां की जबलपुर उत्तर विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में बीजेपी के शरद जैन को महज 578 हार का मुंह देखना पड़ा था. उस समय इस सीट पर 68.68 वोटिंग हुई थी. तो वहीं 2023 में इस सीट पर 72.12 वोटिंग हुई है. बीजेपी ने यहां से टिकट बदलते हुए युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे को अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने अपने सिटिंग विधायक पर ही भरोसा जताया है. वोटिंग प्रतिशत में बंपर उछाल के कारण इस सीट पर बीजेपी को खासी उम्मीद नजर आ रही है.
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कोलारस BJP विधायक का दलबदल
कोलारस सीट से बीजेपी विधायक वीरेंद्र रघुवंशी पिछले चुनाव में अपनी सीट बड़ी मुश्किल से बचा पाए थे. यहां उन्हें महज 720 वोटों से जीत का ताज मिला था. लेकिन तभी से ये सीट चर्चाओं में बनी हुई है. इस सीट वीरेंद्र रघुवंशी के दलबदल के बाद पार्टी ने महेंद्र यादव को मौका दिया तो वहीं बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए सिंधिया समर्थक बैजनाथ यादव कांग्रेस की तरफ से मैदान में उतारा गया है. इस सीट पर कड़ी फाइट होने के कारण परिणाम दिलचस्प हो सकते हैं.
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डंग कीर सीट पर सबकी निगाहें
सुवासरा सीट की पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद खासी चर्चाएं हुई थीं. क्योंकि यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता हरदीप सिंह डंग अपनी सीट पर 350 वोटों से ही जीत पाए थे. 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां पर 82.67 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2023 में 83.52 प्रतिशत मतदान हुआ है. वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के कारण इस सीट पर बीजेपी को परिणाम को लेकर अच्छी उम्मीद है.
विधायक को था अपनी टिकट कटने का डर? क्या बचा पाएंगे अपनी सीट
सागर जिले की बीना विधानसभा सीट पर महेश राय को अपनी टिकट कटने का डर था, लेकिन फिर भी बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि पिछला चुनाव वे महज 632 वोटों से जीते थे. 2018 में यहां 73.48 वोटिंग हुई थी, जबकि 2023 में 74.99 प्रतिशत वोटिंग हुई है. इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से निर्मला सप्रे को मैदान में उतारा है. इस सीट पर केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का खासा दबदबा माना जाता है. इसके कारण बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार अच्छे मार्जन से सीट जीतने में सफलता मिलेगी तो वहीं कांग्रेस को भरोसा है कि पिछले विधानसभा चुनाव की टीस इस बार निकलेगी.
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ब्यावरा वापस ले पाएंगी बीजपी?
राजगढ़ जिला और उसकी ब्यावरा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है. यहां पिछले चुनाव में हार-जीत का फैसला महज 826 वोटों से हुआ था. 2018 में इस सीट पर 80.78 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार यहां 84 प्रतिशत मतदान हुआ है. इस बार बंपर वोटिंग से इस सीट पर भी बीजेपी को खासी उम्मीदें हैं.
जावरा विधानसभा का क्या रहा हाल?
मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कांग्रेस इस बार बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है. रतलाम जिले की जावरा विधानसभा सीट पर 2018 में बीजेपी के राजेंद्र पांडे को महज 511 वोटों से जीत मिली थी. 2018 में इस सीट पर 84.35 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि 2023 में यहां पर 85.29 प्रतिशत मतदान हुआ है. वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के कारण कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही इस सीट पर खासी उम्मीद है.
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