राजनीति का ऐसा क्रेज कि अमेरिका में करोड़ों की नौकरी छोड़ आए, अब इस विधानसभा सीट से ठोक रहे ताल
ADVERTISEMENT
MP Election 2023: मध्यप्रदेश में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में इस समय प्रदेश में राजनीति के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. इसीलिए कहा जाता है कि राजनीति का रंग निराला है. बदलते दौर के साथ ही राजनीति के रंग भी बदल रहा है. राजनीति में आने के लिए नेता ताउम्र संघर्ष करते रहते हैं. आने के बाद जाना नही चाहते हैं. चुनाव का ऐसा जुनून चढ़ता है की स्टेट, डिस्ट्रिक और कांस्टेंसी बदलकर दावेदार करने से नही चूकते हैं. ऐसा ही एक वाक्या मध्यप्रदेश के रीवा में देखने को मिल रहा है. जहां सात समंदर पार करके चुनाव लडने के लिए एक युवा अमेरिका से रीवा अपने गांव आया है. इतना ही नही गांव आकर अपनी कांस्ट्रेंसी से विधायकी की उम्मीदवारी पेश की है. यह आर्किटेक्ट युवा अमेरिका में करोड़ों रुपए सालाना के पैकेज में काम कर रहा था.
दरअसल रीवा जिले की गुढ़ विधानसभा इन दिनों चर्चा में है. चर्चा विधानसभा के रण में उतरे एक युवा नेता को लेकर है. जिसने इस कास्टेंसी में विधायकी की दावेदार पेश की है. 25 वर्षीय प्रखर प्रताप सिंह मूलतः रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियान के पुस्तैनी निवासी हैं. देश के प्रसिद्ध दून स्कूल देहरादून में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अमेरिका चले गए.
नेताओं से मुलाकात के बाद बदला मन
अमेरिका में आर्किटेक्ट की डिग्री और इटली में मास्टर डिग्री हासिल की. डिग्री पूरी होते ही प्रखर प्रताप सिंह को भारतीय मुद्रा के हिसाब से 1 करोड़ रुपए सालाना के पैकेज की नौकरी अमेरिका में मिल गई. लेकिन वतन की मिट्टी महक, गांव की यादें, गरीबों का दर्द यादें ताजा होती रही.
इसी बीच अमेरिका में मौजूद इंडियन सोसाइटी में प्रखर प्रताप सिंह की मुलाकात कुछ भारतीय नेताओं से हुई और इस मुलाकात से प्रखर को नई राह पर चलने की एक उम्मीद मिल गई. राजनीति के पाठ से अनभिज्ञ आर्किटेक्ट प्रखर प्रताप सिंह भारत लौट आए और राजनीति के रण में उतार गए. गुढ़ विधानसभा सीट से उम्मीदवारी कर जनता की सेवा करने का मजबूत इरादा कर लिया. इससे पहले प्रखर प्रताप सिंह के घराने से कोई भी राजनीति में नही गया था. प्रखर प्रताप सिंह को आम आदमी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है.
ADVERTISEMENT
ये भी पढ़ें: ‘मोदी’ पर केंद्रित रहा ‘शाह’ का भाषण, 20 मिनट में 2 बार शिवराज का नाम; जानें इसके सियासी मायने
रूट लेबल पर काम करने की इक्षा- प्रखर
प्रखर के पिता भानू सिंह बताते है कि “प्रखर बचपन से ही काफी होनहार थे. पढ़ाई में ललक देखते हुए दून स्कूल भेजना पड़ा. दून से अमेरिका और फिर इटली का सफर तय किया. अच्छा पैकेज मिलने से प्रखर अमेरिका में रहने की सलाह दी थी. लेकिन अपने बब्बा साहब से प्रभावित होकर प्रखर समाजसेवा की राह पर चल पड़े हैं. प्रखर का कहना है” कि “उनकी विधानसभा में कई समस्याएं है, गरीबों की छोटी छोटी जरुरते हैं, जो पूरी नहीं हो पाई हैं” मेरा लक्ष्य है की रूट लेबल पर काम करु ताकि इनके जीवन स्तर सुधार हो और जनता खुशहाल हो जाए”.
ADVERTISEMENT
कैसा है गुढ विधानसभा का तानाबाना
गुढ़ सीट पर ज्यादातर मुकाबला त्रिकोणीय ही देखने को मिलता है. 2018 के चुनाव में कुल 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. लेकिन जीत बीजेपी के पक्ष में गई और बीजेपी के नागेंद्र सिंह ने समाजवादी पार्टी के कपिध्वज सिंह को 7,828 मतों के अंतर से हरा दिया. जबकि चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा और उसके प्रत्याशी सुंदर लाल तिवारी तीसरे स्थान पर रहे थे. गुढ़ विधानसभा में जातिगत समीकरण की बात करें तो सामान्य 50 प्रतिशत (ब्राह्मण 34 और राजपूत 12) के अलावा ओबीसी समाज के 20 फीसदी, अनुसूचित जाति के 15 और अनुसूचित जनजाति के करीब 11 प्रतिशत मतदाता हैं.
ADVERTISEMENT
ये भी पढ़ें: अलग अंदाज में सिंंधिया, कमलनाथ-दिग्विजय पर तंज कसते हुए बोले- बड़े भाई-छोटे भाई कुर्सी की पूजा करते हैं
ADVERTISEMENT