दिग्विजय सिंह के गढ़ में शिवराज और सिंधिया एक साथ देंगे चुनौती, क्या ढह जाएगा राघौगढ़ में कांग्रेस का किला?

एमपी तक

ADVERTISEMENT

mp politics
mp politics
social share
google news

MP Politics: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में दौरे कर चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं तो वहीं अब दिग्विजय सिंह को भी उनके गढ़ में घेरने की तैयारी बीजेपी ने कर ली है. पहली बार सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों एक साथ शनिवार को राघोगढ़ पहुंचेंगे और एक साथ ही यहां पर जनसभा को संबोधित करेंगे. राघोगढ़ विधानसभा सीट से वर्तमान में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं और उनसे पहले लंबे समय तक खुद दिग्विजय सिंह इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं.

दिग्विजय सिंह से राघौगढ़ सीट लेने की कोशिश तो बीजेपी ने बहुत की लेकिन कामयाबी नहीं मिली. लेकिन जब से दिग्विजय सिंह ने सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में डेरा डालना शुरू किया तो सिंधिया ने भी दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ में चुनावी रणनीति का प्रभार अपने कंधों पर ले लिया.

वर्ष 1977 में दिग्विजय सिंह यहां से पहली बार विधायक चुने गए थे और तभी से लगातार ये सीट कांग्रेस के पास बनी हुई है. बीजेपी लाख कोशिशों के बावजूद इस सीट को जीत नहीं सकी है. लेकिन इस बार इस सीट का प्रभार खुद सिंधिया ने अपने हाथों में लिया है. सिंधिया खुद इस सीट पर चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं. कुल मिलाकर राघोगढ़ सीट बीजेपी और सिंधिया दोनों के लिए ही अब इज्जत का सवाल बन चुकी है.

ADVERTISEMENT

आपको बता दें राघौगढ़ गुना जिले के अंतर्गत आने वाली 4 विधानसभा सीटों में से एक है. यह सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर बीजेपी आज तक इस सीट को जीत क्यों नहीं सकी और इस बार सिंधिया और शिवराज दोनों के लिए ही यह सीट इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई है.

शिवराज सिंह वर्ष 2003 में यहां पर लड़े थे चुनाव लेकिन हार गए थे
दरअसल राघोगढ़ को जीतने के लिए बीजेपी की तरफ से खुद शिवराज सिंह चौहान दो से तीन बार यहां कोशिश कर चुके हैं. वे खुद इस सीट पर चुनाव लड़कर दिग्विजय सिंह से 2003 में चुनाव हार चुके हैं. उनसे पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, सुंदरलाल पटवा भी राघोगढ़ को जीतने की कोशिशें कर चुके हैं लेकिन नाकाम रहे. राघोगढ़ की राजनीति को करीब से जानने वाले बताते हैं कि यहां के ज्यादातर वोटर्स दिग्विजय सिंह के राज परिवार के प्रति समर्पित रहे हैं.

ADVERTISEMENT

मप्र की सत्ता में सरकारें बदलती रही हैं लेकिन राघोगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस और दिग्विजय सिंह के परिवार का ही कब्जा बरकरार रहा है. ऐसे में यदि बीजेपी इस सीट को जीतने में कामयाब हो जाती है तो भाजपा का मनोबल कई गुना बढ़ जाएगा और दिग्विजय सिंह का एक छत्र राज यहां समाप्त हो सकेगा. अब देखना ये है कि राघोगढ़ सीट पर सिंधिया और सीएम शिवराज दोनों का एक साथ आना बीजेपी के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है. उल्लेखनीय है कि साढ़े पांच साल बाद राघोगढ़ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनसभ होगी. 8 जुलाई को दोपहर 01 बजे से राघोगढ़ के आईटीआई मैदान में जनसभा का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 2 घंटों तक राघोगढ़ में रहेंगे. इस सम्मेलन को “हितग्राही सम्मेलन” नाम दिया गया है.

ADVERTISEMENT

इनपुट- गुना से विकास दीक्षित की रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- दिग्विजय सिंह का सिंधिया के गढ़ में बड़ा बयान, ‘अब नहीं मिलेगा गद्दारों को कोई मौका’

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT