सागर केस की होगी SIT जांच, सवालों के घेरे में मंत्री गोविंद सिंह, अनर्गल प्रचार करने वालों को मंत्री ने दी चेतावनी!

विकास दीक्षित

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Govind Singh Rajput: मध्यप्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत सागर में जमीन विवाद को लेकर सवालों के घेरे में आ गए हैं. जमीन विवाद की जांच कराने सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. गोविंद सिंह राजपूत मूल रूप से सिंधिया खेमे से हैं और जमीन विवाद को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं.

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Govind Singh Rajput: मध्यप्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत सागर में जमीन विवाद को लेकर सवालों के घेरे में आ गए हैं. जमीन विवाद की जांच कराने सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. गोविंद सिंह राजपूत मूल रूप से सिंधिया खेमे से हैं और जमीन विवाद को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं.

सागर जिले के ओबीसी नेता मान सिंह पटेल के लापता होने की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को एक विशेष जांच दल (SIT) बनाने का आदेश दिया है. एसआईटी इस मामले में प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उनके करीबियों की भूमिका की जांच करेगी.

इस मामले में मोहन कैबिनेट के खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सफाई पेश की है. गोविंद सिंह ने बयान देते हुए कहा है कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की है. सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए हैं, उसका स्वागत है. पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए.

गोविंद सिंह बोले, करेंगे मानहानि की कार्रवाई

गोविंद सिंह ने कहा की उन्हें आज तक इस मामले में उच्च न्यायालय से कोई नोटिस नहीं मिला है. बल्कि उनके राजनैतिक विरोधियों द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा है. इसलिए अनर्गल भ्रामक प्रचार करने वालों के खिलाफ मानहानि का दावा और कंटेंप्ट की कार्रवाई की जाएगी. 

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ये है पूरा मामला

दरअसल सागर जिले के ओबीसी नेता मानसिंह पटेल सन 2016 से लापता हैं. आरोप है की मानसिंह पटेल की जमीन गोविंद सिंह राजपूत ने हड़प ली थी. तभी से मानसिंह पटेल भी लापता बताए जा रहे हैं. वहीं ओबीसी नेता मानसिंह पटेल की गुमशुदगी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एसआईटी का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए. एसआईटी में एक एसपी रैंक का अधिकारी और एक अतिरिक्त एसपी रैंक का अधिकारी सदस्य होना चाहिए. तीनों अधिकारी एमपी कैडर आईपीएस अधिकारी होने चाहिए, लेकिन उनका मूल राज्य से बाहर का होना चाहिए. एसआईटी को चार महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देनी है.

ये भी पढ़ें- मुश्किल में MP के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, सुप्रीम कोर्ट ने 9 साल पुराने इस केस की जांच SIT को दी

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