बुंदेलखंड में BJP के इन 3 छत्रपों के बीच चल रही है वर्चस्व की लड़ाई, क्या पार्टी को होगा नुकसान? जानें
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Mp Political News: मध्यप्रदेश मे चुनावी बिसात क्या बिछी दोनों ही पार्टियों की कलह सामने आने लगी है. एक तरफ बीजेपी नेताओं का दूसरे दलों में जाने का दौर जारी है, तो वहीं कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर अलग-अलग राय जनता को परेशान कर रही है. शिवराज मंत्रीमंडल में सब कुछ ठीक होने का दावा लंबे समय से किया जा रहा है. लेकिन इसके इतर कुछ खबरें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत बीजेपी संगठन को परेशान करने के लिए मजबूर कर रही हैं.
दरअसल पिछले दिनों बुंदेलखंड के तीन मंत्रियों के बीच का आपसी विवाद सामने आया था, जिसको लेकर विपक्षी दलों ने भी सवाल उठाए थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. बुंदेलखंण्ड क्षेत्र के सागर जिला प्रदेश का एक मात्र ऐसा जिला है जहां 3 केबिनेट मंत्री हैं. लेकिन इन मंत्रियों का दावा है कि इनमें से एक मंत्री ही पूरे जिले में अपना बर्चस्व बनाना चाह रहे हैं. जिसकी शिकायत अन्य दोनों मंत्रियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की थी..
विधायक को डर कहीं इस बार टिकट न कट जाए
सागर जिले से शिवराज सरकार में तीन मंत्री हैं. तीनों के बीच प्रशासन पर वर्चस्व को लेकर संघर्ष चलता रहता है. इसी बात को लेकर मंत्री भार्गव और राजपूत के नेतृत्व में सागर के विधायक शैलेंद्र जैन, नरयावली विधायक प्रदीप लारिया और जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया ने भोपाल में मुख्यमंत्री और संगठन के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी. विवाद के पीछे मुख्य वजह सागर और सुरखी विधानसभा क्षेत्र की सियासत बताई जाती है. सागर विधायक शैलेद्र जैन को भय है कि उनकी टिकट काटी जा सकती है. वहीं सुरखी विधानसभा सीट से परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस प्रत्याशी के बतौर और भूपेंद्र सिंह भाजपा से चुनाव लड़ चुके हैं. इन दिनों राजकुमार धनोरा सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से सक्रिय हैं. यही वजह कि सुरखी के नेताओं को लगता है कि ये भूपेंद्र सिंह समर्थक हैं.
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गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह के बीच की विवाद की वजह
गोपाल भार्गव मध्यप्रदेश के वरिष्ट भाजपा नेताओं में गिने जाते हैं. वे रहली विधानसभा से चुनकर आते हैं जो कि लगातार 8 बार से जीत दर्ज कर रहे हैं. इतना लंबा राजनीतिक कैरियर होने के बाद भी सागर जिले की राजनीति में दखल भूपेंद्र सिंह का ज्यादा माना जाता है. चाहे फिर पंचायत स्तर के काम हों या फिर जिला स्तर के काम हर जगह भूपेंद्र सिंह का ही दबदबा दिखाई देता है. पिछले दिनों कांग्रेस से भाजपा में लाए गए राजबिहारी पटेरिया जो कभी गोपाल भार्गव के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से रहली विधानसभा से चुनाव लड़े थे. उनको पार्टी में लाने का श्रेय भूपेंद्र सिंह को ही जाता है. हालांकि उस चुनाव में गोपाल भार्गव ने उन्हें करारी हार का मुंह दिखाया था, लेकिन अब उनके भाजपा में आने के कारण कहीं न कहीं गोपाल भार्गव को उनका आना खटका है. इस मुद्दे पर गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह दोनों नेताओं के बीच ये आपसी कलह देखने को मिली है.
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गोविंद राजपूत और भूपेंद्र सिंह के बीच विवाद की वजह
सिंधिया के कटटर समर्थक माने जाने वाले गोविंद राजपूत का नाम पिछले कई महीनों से विवादों में चल रहा है. जिसको लेकर गोविंद आने वाले चुनाव को लेकर कहीं न कहीं चिंतित नजर आ रहे हैं. दरअसल गोविंद राजपूत जिस सुर्खी विधानसभा से चुनकर आते हैं. वो सीट पहले भूपेंद्र सिंह की हुआ करती थी. भूपेंद्र के सीट बदलने के बाद गोविंद सिंह ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाने का प्रयास किया और कई हद तक वो इसमें सफल भी रहे. लेकिन विवाद और गोविंद सिंह राजपूत का नाम पिछले 6 महीनों से जुड़ा हुआ है. जब भाजपा नेता राजकुमार धनौरा को गोविंद सिंह राजपूत के कहने पर भाजपा से निष्कासित कर दिया गया. जिसके बाद से ही राजकुमार धनौरा गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ खुलकर सामने आ गए. राजकुमार भूपेंद्र सिंह के रिश्तेदार बताए जाते हैं.
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