यहां होती है खंडित शिवलिंग की पूजा, जानिए उस मंदिर की कहानी, जहां औरंगजेब भी हो गया था नतमस्तक

ADVERTISEMENT

Broken Shivling is worshiped here, know the Gavinath Dham story of that temple, where Aurangzeb also bowed down
Broken Shivling is worshiped here, know the Gavinath Dham story of that temple, where Aurangzeb also bowed down
social share
google news

Satna News:  सावन का महीना शुरू हो चुका है. आज सावन का पहला सोमवार है इसी कारण शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है. मध्यप्रदेश में कई प्रकार के शिव मंदिर हैं और उनकी उसी तरह उनका अनोखा इतिहास भी है. शास्त्रों में खंडित प्रतिमा की पूजा निषेध मानी जाती है. मगर सतना जिले के बिरसिंहपुर में खंडित शिवलिंग की पूरे श्रद्धा के साथ पूजा होती है. भोलेनाथ यहां शिवलिंग के रूप में चूल्हे से निकले थे.

जानकारी के मुताबिक 16वीं शताब्दी में औरंगजेब ने इस शिवलिंग पर कई वार किए थे. तब भोलेनाथ ने उस बुतपरस्त को न केवल सबक सिखाया बल्कि घुटने टेकने पर भी मजबूर कर दिया. यहां प्रत्येक सोमवार गैवीनाथ के अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अटूट भीड़ उमड़ती है, मगर महाशिवरात्रि और श्रावण मास का मेला देखते ही बनता है. उत्तराखंड के चारों धाम की यात्रा के बाद गंगोत्री के जल को गैवीनाथ शिवलिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व है.

महाकाल शिवलिंग के रूप में प्रकट हुये
मध्यप्रदेश के सतना मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है बिरसिंहपुर कस्बा, इसी कस्बे में तालाब किनारे शिवलिंग रूप में भगवान भोलेनाथ विराजते हैं. किवदंती के अनुसार कभी यह देवपुर नगरी हुआ करती थी. यहां के राजा वीर सिंह उज्जैन महाकाल के अनन्य भक्त थे. राजा रोजाना यहां से उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करते थे. बाद में राजा वृद्ध हो गए तो वो उज्जैन जाने में असमर्थ रहने लगे. इस पर उन्होंने महाकाल से बिरसिंहपुर आने के लिए कहा, महाकाल उनकी भक्ति से इतने अभिभूत हुए कि वो बिरसिंहपुर में गैवीनाथ के घर शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए.

ADVERTISEMENT

Broken Shivling is worshiped here, know the Gavinath Dham story of that temple, where Aurangzeb also bowed down
फोटो: एमपी तक

औरंगजेब की सेना ने शिवलिंग पर किए वार
बुतपरस्ती के खिलाफ रहे औरंगजेब की सेना ने शिवलिंग के ऊपर तलवार से वार कर दिया था. इस वार से शिवलिंग 5 हिस्सों में बंट गया. कहते हैं जब शिवलिंग पर पहला वार हुआ तो उससे गंगा की धारा बही, दूसरे घाव से खून और मवाद बहने लगा. तीसरे वार से दूध की धारा, चौथे वार पर बिच्छु, बरैया और पांचवें वार में शिवलिंग से बड़ी मख्खियां निकलने लगी. मख्खियों ने औरंगजेब की सारी सेना को काटना शुरू किया और खदेड़ दिया. बादशाह समेत सेना मूर्छित हो गई. वहीं पर औरंगजेब ने माफी मांगी कि मैं हिन्दुओं की मूर्तियों की परीक्षा नहीं लूंगा. कालांतर में शिवलिंग के दो घाव तो भर गए मगर आज भी शिवलिंग 3 हिस्सों में विभाजित दिखता है.

मन्नत पूरी होने पर शंकर-पार्वती का गठबंधन
गैवीनाथ धाम आज अटूट श्रद्धा का केंद्र है, लोग बड़ी संख्या में यहां मनौती (मन्नत) लेकर आते हैं. मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु शिव और पार्वती का गठबंधन करते हैं. एक छोर से दूसरे छोर तक विशाल तालाब के ऊपर से शंकर-पार्वती का गठबंधन किया जाता है. सावन में यहां भक्तों का रेला उमड़ पड़ता है. जल और बिल्वपत्र चढ़ाने के लिए होड़ मच जाती है.

ADVERTISEMENT

ये भी पढ़ें: Ujjain: सावन के पहले सोमवार भगवान महाकाल की भस्मारती में उमड़ पड़े श्रद्धालु, दर्शन कर हुए निहाल

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT