रैगिंग से परेशान होकर नर्सिंग की छात्रा ने लगाई फांसी, कॉलेज ने नकारे आरोप; कहा- डिप्रेशन में थी छात्रा

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Suicide News: विदिशा में रैगिंग से परेशान होकर आत्महत्या करने का मामला सामने आया है. विदिशा में सरकारी नर्सिंग कॉलेज में फर्स्ट ईयर की छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिजनों ने जहां रैगिंग का आरोप लगाया है तो वहीं कॉलेज प्रबंधन ने रैगिंग को नकारते हुए छात्रा के डिप्रेशन में होने की बात कही है.

भोपाल निवासी शुभी चौरसिया ने विदिशा नर्सिंग कॉलेज में प्रथम वर्ष छात्रा के रूप में एडमिशन लिया था और वह यहां पढ़ाई कर रही थी, लेकिन शुभी के जीवन में कुछ ऐसा हुआ कि उसने अपना जीवन समाप्त कर लिया. कॉलेज की छात्रा शुभी के हॉस्टल में फांसी लगाए जाने की सूचना पूरे कॉलेज में आग की तरह फैल गई. सब लोग इस खबर सुनते ही एकदम से सन्न रह गए. घटना की जानकारी लगते ही भोपाल में उनके परिजनों को सूचना दी गई.

भाई ने लगाया रैगिंग का आरोप
मृतिका के भाई संदीप चौरसिया का कहना है कि वह हमें फोन करती थी कि बड़ी-बड़ी जो सीनियर हैं वह रैगिंग लेती हैं. सर्दियों में उसको 2 से लेकर 3 घंटे खड़ा रखते थे, ना केवल उसे खड़ा रखते थे बल्कि उसकी और जूनियर साथियों को भी खड़ा रखते थे. गुड मॉर्निंग करो, गुड आफ्टरनून करो इस बात को उसने अपनी मैडम को भी बताया तो वह सीनियर मैडम को भी डपट देती थी. मृतिका के पिता ने भी डिप्रेशन की बात कबूली है, लेकिन उनका कहना है कि रैगिंग के चलते उसके ऊपर दवाब था.

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कॉलेज ने कहा- डिप्रेशन में थी छात्रा
प्रभारी प्राचार्य शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय विदिशा प्रतिभा भटनागर का कहना है कि वह अभी 1 महीने पहले वह छुट्टी में गई हुई थी. घर पर इलाज के लिए उसका पता भी है. हमने जेरोक्स कॉपी भी कर रखी है, मोबाइल में भी है. उसके वह हॉस्पिटल से अकेली जाया करती थी. हम रोकते थे कि किसी को साथ लेकर जाया करो हालांकि हम लोग कहते रहते थे कि कोई भी बात हो तो हमसे शेयर किया करो हम लोगों ने फोन पर उनके परिजनों को भी बोला था. वहीं विदिशा कोतवाली टीआई आशुतोष सिंह का कहना है कि प्रकरण दर्ज किया गया है. जांच के उपरांत ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

गुड मॉर्निंग नहीं करने पर करते थे रैगिंग
परिजनों का आरोप है कि शुभी रैगिंग होती थी. सीनियर को गुड मॉर्निंग गुड आफ्टरनून नहीं कहने पर वह उसे प्रताड़ित करती थी.यहां तक की शुभी ने अपनी मैडम को भी यह बात बताई, तो सीनियर्स मैडम को भी दबा दिया करती थीं. हालांकि कॉलेज प्रबंधन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि छात्रा डिप्रेशन में थी. बाकायदा इस बीमारी को लेकर उसका इलाज चलता रहा है पर्चे भी उनके पास है. रैगिंग का आरोप गलत है.

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