फोटो- एमपी टूरिज्म

मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में विंध्याचल की सुरम्य वादियों से घिरा ऐतिहासिक नगर चंदेरी हमारी धरोहर है.

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चंदेरी का इतिहास प्राचीन है. यह नगर महाभारत काल से लेकर बुंदेलों तक की विरासत को संभालकर रखे हुए है.

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चंदेरी का केवल किला ही प्राचीन नहीं है, बल्कि इस नगर की गली-गली में ऐतिहासिक धरोहर बिखरी है.

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किले से ही तीन-चार ऊंची पहाड़ियां नजर आती हैं, जो एक समय में चंदेरी के निगरानी के केंद्र थे.

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चंदेरी, भगवान श्रीकृष्ण की बुआ श्रुति के पुत्र शिशुपाल की राजधानी थी. उस समय इसका उल्लेख चेदी राज्य के रूप में आता है.

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पांचवीं-छठवीं शताब्दी में जिन 16 जनपदों का उल्लेख मिलता है, उनमें सातवां महाजनपद चेदी (चंदेरी) था.

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वर्तमान चंदेरी शहर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में प्राचीन शहर के अवशेष बिखरे पड़े हैं, जिसे बूढ़ी चंदेरी कहते हैं.

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कालांतर में यह शहर काल के गाल में समा गया और 9वीं शताब्दी के बाद से वर्तमान चंदेरी अस्तित्व में आने लगा.

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29 जनवरी, 1528 को हुए भयानक युद्ध के बाद क्रूर आक्रांताओं से अपने स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए रानी मणिमाला के साथ 1600 क्षत्राणियों ने किले पर जौहर किया था.

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