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MP: शराब फैक्ट्री में बाल श्रमिकों से करवाया जा रहा था काम, सीएम के एक्शन के बाद कई अफसरों पर गिरी गाज

रवीशपाल सिंह

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रायसेन शराब फैक्ट्री
रायसेन शराब फैक्ट्री
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MP News:  एमपी की राजधानी भोपाल से सटे रायसेन में एक शराब फैक्ट्री में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने छापा मारकर 2 दर्जन से ज्यादा बाल मजदूरों को मुक्त कराया है. इस मामले में अब मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कड़ा रुख अपनाया है. और, कई अफसरों पर एक्शन लिया है. सीएम के निर्देश के बाद इस मामले में कार्रवाई करते हुए तीन आबकारी उपनिरीक्षकों को निलंबित कर दिया गया है 

दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो इन दिनों मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं. उन्हें शिकायत मिली थी कि रायसेन स्थित शराब फैक्ट्री में मासूमों से काम कराया जाता है. इसके बाद आयोग की टीम ने छापा मारकर मासूम बाल श्रमिकों को वहां से रेस्क्यू कर प्रशासन को सौंप दिया. टीम ने पाया कि रसायनों के सम्पर्क में रहने से कई बच्चों के हाथ की चमड़ी भी जल चुकी है.

 

 

सीएम के निर्देश के बाद बड़ी कार्रवाई

मामले ने तूल पकड़ा तो बात मुख्यमंत्री मोहन यादव तक पहुंची और उन्होंने इसपर कड़ा एक्शन लिया. सीएम मोहन यादव ने मामले को बेहद गंभीर बताया था और 24 घंटे के अंदर ही कार्रवाई करते हुए प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी कन्हैयालाल अतुलकर, मैसर्स सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड, सेहतगंज को  निलंबन कर दिया गया. इसके अलावा रायसेन जिले के तीन आबकारी उप-निरीक्षकों प्रीति शैलेंद्र उईके, शैफाली वर्मा और मुकेश कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. 

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बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लगाए गंभीर आरोप

बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि "शराब फैक्ट्री से रेस्क्यू किए गए बच्चों को प्रशासन और शराब कंपनी के मालिक ने मिलकर गायब करा दिया हैं. शनिवार देर रात दिए गए बयान में कानूनगो ने बताया कि बच्चों को दोपहर साढ़े तीन बजे रेस्क्यू किया गया और फैक्ट्री मालिक पर कार्रवाई के लिए पुलिस को आवेदन दिया गया. लेकिन, साढ़े सात बजे तक कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा.

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि बाल संरक्षण आयोग की टीम ने सोम डिस्टलरी का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान फैक्ट्री में 18 साल से कम उम्र के 50 बच्चे शराब बनाते पकड़े गए थे. इनमें 20 नाबालिग लड़कियां भी शामिल थीं. निरीक्षण के दौरान बाल आयोग को बच्चों के हाथ की त्वचा जली हुई मिली थी. इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे. 

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