Chhatarpur: 17 साल के छात्र को खड़े-खड़े आया हार्ट अटैक, स्कूल में कर रहा था प्रार्थना, हॉस्पिटल ले जाने से पहले मौत

लोकेश चौरसिया

11 Jul 2023 (अपडेटेड: Jul 11 2023 6:37 AM)

Chhatarpur News: देशभर में कम उम्र के लोगों के साथ हो रही हार्ट अटैक की घटनाओं ने लोगों को भयभीत कर दिया है. एक ऐसा ही चौंका देने वाला मामला सोमवार की सुबह एमपी के छतरपुर शहर से सामने आया. यहां एक छात्र सुबह स्कूल की प्रार्थना में खड़ा था, तभी अचानक जमीन पर गिर […]

17 year old boy got heart attack, chhatarpur news

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Chhatarpur News: देशभर में कम उम्र के लोगों के साथ हो रही हार्ट अटैक की घटनाओं ने लोगों को भयभीत कर दिया है. एक ऐसा ही चौंका देने वाला मामला सोमवार की सुबह एमपी के छतरपुर शहर से सामने आया. यहां एक छात्र सुबह स्कूल की प्रार्थना में खड़ा था, तभी अचानक जमीन पर गिर गया. स्कूल के लोगों ने उसे सीपीआर देने की कोशिश की, लेकिन इसके पहले ही उसकी जान चली गई. इस घटना के बारे में सुनकर हर कोई हैरान है.

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जब सार्थक को अस्पताल लाया गया तो उसकी मौत हो चुकी थी. जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. अरविंद सिंह ने मौत की पुष्टि करते हुए परिवार को बताया कि बच्चे को कार्डियक अरेस्ट हुआ है. डॉ. अरविंद सिंह से जब इस मुद्दे पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि आमतौर पर ऐसी घटनाएं सामने नहीं आती हैं. यह दुर्लभ कार्डियक अरेस्ट का मामला है.

अचानक जमीन पर गिरा
जाने-माने व्यापारी आलोक टिकरिया का 17 वर्षीय बेटा सार्थक महर्षि विद्या मंदिर की कक्षा 10वीं में पढ़ाई कर रहा था. हमेशा की तरह सार्थक सोमवार की सुबह 6 बजे जागा और तैयार होकर स्कूल चला गया. लगभग साढ़े 7 बजे से 8 बजे के बीच स्कूल में सभी बच्चे प्रार्थना की पंक्ति में खड़े थे, तभी अचानक सार्थक जमीन पर गिर गया. बच्चे कुछ समझ पाते इसके पहले ही सार्थक बेहोश हो गया. स्कूल के स्टाफ ने बच्चे की छाती पर सीपीआर देने की कोशिश की और परिवार को सूचित किया. परिवार के लोग मौके पर पहुंचे, बच्चे को तुरंत जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन इसके पहले ही उसकी जान चली गई थी.

डॉक्टर बोले- यह दुर्लभ घटना
जिला अस्पताल के डॉक्टर अरविंद ने बताया कि कई बार जैनेटिक कारणों से या फिर हृदय के रक्त प्रवाह मार्ग पर कैमिकल का संतुलन बिगड़ने के कारण ऐसी घटनाएं सामने आती हैं. इन मामलों में हृदय की गति अचानक बढ़ जाती है, जिससे हृदय काम करना बंद कर देता है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है. ऐसी घटनाओं में बचाव के लिए सिर्फ 10 मिनिट का समय मिलता है, यदि इस दौरान मरीज की छाती पर तेजी से सीपीआर (दबाव) किया जाए तो कुछ और समय मरीज को मिल जाता है. हालांकि ज्यादातर मामलों में मरीज की जान बचाना बेहद कठिन होता है. डॉ. अरविंद ने कहा कि कम उम्र के लोगों में हृदयाघात के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन कोरोना से इसका कोई संबंध है या नहीं इस बात की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है.

परिवार ने उठाया सराहनीय कदम
सार्थक तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था. शहर के टिकरिया मोहल्ले में रहने वाले आलोक टिकरिया के घर में हुई इस दर्दनाक घटना को जिसने भी सुना वह हैरान हो गया. 17 साल के बेटे को गवां चुके परिवार में दुख का माहौल है, लेकिन इस बीच परिवार ने नई मिसाल भी पेश की है. बच्चे के पिता आलोक टिकरिया ने सदमे से भरे इस माहौल के बीच अपने बेटे की स्मृतियों को बचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया. बेटे की आंखों से कोई और इस संसार को देख सके इसलिए तुरंत बेटे के नेत्रदान का फैसला लिया गया. परिवार ने सद्गुरू नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट की टीम को सूचित किया. यह मेडिकल टीम दोपहर 3 बजे छतरपुर पहुंची. सार्थक की आंखों को उसके शरीर से निकालकर किसी और के शरीर में प्रत्यारोपित करने के लिए सर्जरी की गई.

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