Jugal Kishore Temple: बुंदेलखंड के पन्ना ज़िले में स्थित श्री जुगल किशोर जी का मंदिर सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है. पन्ना नगरी को दूसरा वृंदावन भी कहा जाता है. जन्माष्टमी के महापर्व पर भगवान जुगल किशोर जी को बेशकीमती हीरों से जड़ी मुरली धारण करवाई जाती है, जिसके दर्शन के लिए देश भर से श्रद्धालु आते हैं.
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बेशकीमती रत्नों से जड़ी मुरली धारण करते हैं कृष्ण
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री जुगल किशोर जी के बाल स्वरूप के दर्शन प्राप्त होते हैं. जन्माष्टमी के महापर्व पर श्री जुगल किशोर जी को हीरों से जड़ी मुरली धारण करवाई जाती है. इसी दिन मुकुट भी धारण कराया जाता है. सोने-हीरे और बेशकीमती रत्नों से जड़ित भगवान के आभूषण राजा-महाराजाओं के समय के बनाए हुए हैं.
भगवान और मंदिर का अद्भुत शृंगार
जन्माष्टमी की तिथि पर रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. जन्म के पश्चात प्रमुख पुजारी द्वारा महा आरती की जाती है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु लंबी कतारों में आते हैं. इस खास मौके के लिए जुगल किशोर मंदिर को लाइटों और फूलों से सजाया जाता है.इस दिन श्री कृष्ण जी की प्रतिमा बड़े ही अद्भुत रूप से सुसज्जित की जाती है.
कितना प्राचीन है मंदिर?
जुगल किशोर जी मंदिर बेहद प्राचीन है. जानकारी के मुताबिक, जुगल किशोरजी मंदिर का निर्माण पन्ना के चौथे बुंदेला राजा राजा हिंदूपत सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान 1758 से 1778 के बीच करवाया था. कहा जाता है कि मंदिर के गर्भगृह में रखी गई मूर्ति को वृंदावन से लाया गया है.
दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु
जन्माष्टमी के मौके पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए जुगल किशोर मंदिर पहुंच रहे हैं. सुबह से ही भक्तों का तांता मंदिर में लगा हुआ है. पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह भी व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने पहुंचे और मंदिर पहुंचकर भगवान जुगलकिशोर जी के दर्शन किये.
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