Bhopal: नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोपी को हाई कोर्ट ने सुनाई अनूठी सजा, हैरान करने वाला मामला

रवीशपाल सिंह

24 May 2024 (अपडेटेड: May 24 2024 7:48 AM)

Bhopal Crime News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के आरोपी को कोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई है. आरोपी युवक को जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में 2 महीने की अस्थायी जमानत देने के साथ ही कम्युनिटी सर्विस के निर्देश दिए हैं.

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Bhopal News: पुणे के बहुचर्चित एक्सीडेंट मामले में नाबालिग रईसजादे को निबंध लिखवाकर छोड़ने का मामला सुर्खियों में है, इस बीच एमपी से भी इसी तरह का एक मामला सामने आया है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के आरोपी को कोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई है. आरोपी युवक को जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में 2 महीने की अस्थायी जमानत देने के साथ ही कम्युनिटी सर्विस के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने युवक को अगले 2 महीने तक हर हफ्ते शनिवार-रविवार को भोपाल जिला अस्पताल में उपस्थित होकर मरीजों की सेवा और साफ-सफाई की व्यवस्था देखने की शर्त रखी है. 

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दरअसल, भोपाल के पिपलानी पुलिस थाने में बीबीए छात्र के खिलाफ नाबालिग युवती से छेड़छाड़ के आरोप में IPC की धारा 345 और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गयी थी. जबलपुर हाईकोर्ट के जज आनंद पाठक ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी छात्र को अनोखी सजा सुनाई है. 

आरोपी का 'करियर बर्बाद न हो'

दरअसल, आरोपी छात्र के माता-पिता की ओर से जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा गया था कि उसकी पढ़ाई चल रही है और यदि उसे सजा हो जाएगी तो उसका करियर बर्बाद हो जाएगा. लड़के के माता-पिता ने लड़के के अपराध पर माफी भी मांगी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश आनंद पाठक ने पूरे मामले को सुना और अपने आदेश में कहा कि इस लड़के को एक बेहतर नागरिक बनने के लिए इसे कम्युनिटी सर्विस करनी होगी. 

मरीजों की सेवा करना होगा

जस्टिस आनंद पाठक ने अस्थाई जमानत देते हुए कहा कि आरोपी लड़के को भोपाल के जिला अस्पताल में हर शनिवार और रविवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 तक मरीजों की सेवा करनी होगी. इसके तहत सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों की मदद करनी होगी. अस्पताल की साफ सफाई व्यवस्था बनाए रखने में भी मदद करनी होगी और रजिस्ट्रेशन के काम में उसे मरीज का सहयोग करना होगा. हालांकि, आरोपी छात्र को ध्यान रखना होगा कि इस दौरान वह मरीज को दवाएं, इंजेक्शन आदि नहीं देगा और ना ही उसे प्राइवेट वार्ड में जाने की अनुमति होगी. यह निर्देश आरोपी की उम्र और भविष्य को ध्यान में रखकर दिया जा रहा है, जिससे उसे समाज की मुख्यधारा में आने का अवसर मिल सके. 

आचरण सुधारने का मौका

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, "पूरी केस डायरी पढ़ने और प्रतिवादियों/स्टेट की तरफ से दाखिल जानकारी के बाद ऐसा लगता है कि आरोप बहुत खराब हैं और BBA के एक छात्र से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती, जो मैनेजेरियल कैडर में भविष्य बनाना चाहता है और जाहिर तौर पर एक अच्छे परिवार से आता है. साथ ही आवेदक छात्र है और ऐसे में उसे आचरण सुधारने का मौका दिया जाता है, ताकि वह किसी भी आपराधिक गतिविधियों और खासतौर से IPC की धारा 354(डी) और POCSO एक्ट की धारा 11 और 12 में शामिल न होकर अच्छा नागरिक बन सके. इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.

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