IAS Manisha Dharve Success Story: मध्य प्रदेश की पहली आदिवासी आईएएस अफसर मनीषा धार्वे सुर्खियों में हैं. सोमवार को मनीषा धर्वे इंदौर पहुंचीं. इस दौरान जनजाति कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने उनका जोरदार स्वागत और सम्मान किया. मनीषा धार्वे की सफलता की कहानी संघर्षों से भरी हुई है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
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यूपीएससी क्लीयर करने वाली मनीषा आने वाले दिनों में आईएएस की ट्रेनिंग के लिए मसूरी के लबासना जाएंगी. दोनों ही मंत्रियों ने मनीषा को कहा है को वह मध्य प्रदेश के उन आदिवासी बच्चों के लिए रोल मॉडल बनें, जो सिविल सर्विसेज में जाना चाहते हैं. इसके साथ ही उनसे अपील भी की कि वे समय-समय पर आकर उन्हें मोटिवेट भी करें.
गांव के सरकारी स्कूल से IAS बनने तक का सफर
मनीषा धार्वे की प्राथमिक शिक्षा गांव में आंगनवाड़ी से शुरू हुई. उन्होंने कक्षा 1 से 8वीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में की है. कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई खरगोन के उत्कृष्ट विद्यालय में हुई. मनीषा में सीखने की चाहत थी, इसलिए मनीषा ने 11वीं में मैथ्स और बायो दोनों विषय ले लिए. 10वीं में 75% और 12वीं में 78% अंक हासिल किए. जिसके बाद इंदौर के होलकर कॉलेज से बीएससी कंप्यूटर साइंस की डिग्री ली.
ग्रेजुएशन के दौरान मनीषा ने पीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी. दोस्तों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने का सुझाव दिया. तभी से मनीषा ने यह तय कर लिया था कि अब मुझे कलेक्टर ही बनना है.
चौथे प्रयास में मिली सफलता
खरगोन के झिरनिया ब्लॉक के बोंदरान्या गांव से आई 23 साल की मनीषा धार्वे ने UPSC 2023 भारतीय प्रशासनिक सेवा में 257वीं रैंक हासिल की है. मनीषा धार्वे इससे पहले यूपीएससी के 3 प्रयासों में असफल रहीं, और फिर 2023 में UPSC में अपने चौथे प्रयास में सफलता हासिल की. इस सफलता को हासिल करने और अपने सपने को पूरा करने के लिए मनीषा ने कठिन यात्रा तय की है.
इनपुट: इंदौर से धर्मेंद्र कुमार शर्मा और खरगोन से उमेश रेवलिया की रिपोर्ट
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