दस्यु प्रभावित रही भिंड लोकसभा सीट बन चुकी है बीजेपी का अभेद किला, कांग्रेस के लिए है बड़ी चुनौती

हेमंत शर्मा

07 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 7 2024 8:47 AM)

इस बार भी बीजेपी ने वर्तमान सांसद संध्या राय को एक बार फिर से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया है, जबकि कांग्रेस ने फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है.

Bhind Lok Sabha Seat, Lok Sabha Election 2024

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Bhind Loksabha election 2024: भिंड लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की सबसे चर्चित लोकसभा सीटों में शामिल है. भिंड और दतिया जिले की आठ विधानसभा सीट को मिलाकर यह लोकसभा सीट बनती है. इस बार भी बीजेपी ने वर्तमान सांसद संध्या राय को एक बार फिर से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया है, जबकि कांग्रेस ने फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है.

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फूल सिंह बरैया भांडेर से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं. वह दतिया जिले की भांडेर विधानसभा सीट से अब तक दो बारविधायक चुने जा चुके हैं, लेकिन भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट से फूल सिंह बरैया विधानसभा का चुनाव लड़कर करारी हार का सामना कर चुके हैं. लगातार नौ बार से भिंड लोकसभा सीट पर काबिज भाजपा को इस सीट से हटाना कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल साबित हो सकता है.

फूल सिंह बरैया दलित नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं इसलिए सवर्ण समाज का झुकाव उनकी तरफ कम ही देखने को मिल रहा है, जबकि महिला कैंडिडेट होने के नाते संध्या राय को लोग ज्यादा पसंद करते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि फूल सिंह बरैया का दावा है कि उनका टिकट दिलवाने में सवर्ण समाज का सबसे ज्यादा योगदान रहा है. इधर शिवरात्रि के मौके पर संध्या राय के सामने ही एक स्थानीय निवासी ने मेहगांव में अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कह दिया था कि वह 5 साल से इलाके में देखने को नहीं मिली है. कुल मिलाकर भिंड लोकसभा सीट पर इस वक्त बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही के प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर है. अब देखने वाली बात होगी कि भाजपा अपने इस किले को बरकरार रख पाती है या कांग्रेस के फूल सिंह बरैया इस किले को ढहाने में सफल हो जाएंगे.

जानें, भिंड लोकसभा सीट पर कितने मतदाता हैं

इस लोकसभा सीट में 23 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें से 12 लाख से अधिक पुरुष मतदाता है और 10 लाख से अधिक महिला मतदाता है. आठ विधानसभा वाली लोकसभा सीट में ओबीसी और सवर्ण मतदाता हमेशा निर्णायक वाटर साबित होते आए हैं.

अब तक कैसा रहा है भिंड लोकसभा का इतिहास

इस लोकसभा सीट को बीजेपी की परंपरागत सीट माना जाता है, क्योंकि बीते 9 बार के लोकसभा चुनाव से यहां भाजपा ही काबिज है. 1952 के समय जब इस लोकसभा सीट पर पहला चुनाव हुआ था, तो यहां पर कांग्रेस के सूरज प्रसाद ने अपनी जीत दर्ज कराई थी. साल 1962 के चुनाव में भी सूरज प्रसाद ने अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा, लेकिन साल 1967 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ते हुए यशवंत सिंह कुशवाहा यहां से सांसद चुने गए.

साल 1971 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के टिकट पर विजया राजे सिंधिया ने यहां से जीत दर्ज कराई. 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के रघुवीर सिंह यहां से सांसद चुने गए. फिर एक बार 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी यहां पर काबिज हुई और कालीचरण शर्मा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विजय हुए. कांग्रेस की जीत का यह सिलसिला 1984 में भी हुए चुनाव में भी लगातार जारी रहा. इस बार कृष्ण पाल सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कराई, लेकिन 1989 में हुए चुनाव के बाद से यहां भाजपा काबिज हो गई.

1989 से बीजेपी ने भिंड लोकसभा सीट पर जमा लिया कब्जा

साल 1989 में बीजेपी के नरसिंह राव दीक्षित यहां से सांसद चुने गए, जबकि साल 1991 में योगानंद सरस्वती यहां से बीजेपी के सांसद बने. साल 1996 में डॉक्टर राम लखन सिंह पहली बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे. इसके बाद साल 1998 से लेकर 1999 और साल 2004 तक डॉ राम लखन सिंह यहां से लगातार चार बार सांसद चुने गए.

लेकिन साल 2009 में भिंड लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई. जिसके बाद भाजपा ने यहां से अशोक अर्गल को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा. अब तक मुरैना से सांसद रहे अशोक अर्गल ने भिंड सीट से भी चुनाव लड़ते हुए अपनी जीत दर्ज कराई, लेकिन साल 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए भागीरथ प्रसाद को भाजपा ने टिकट दिया और भागीरथ प्रसाद चुनाव जीत कर सांसद चुन लिए गए. एक बार फिर से बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बदल दिया और इस बार मुरैना निवासी संध्या राय को चुनाव मैदान में उतार दिया. इस बार भी यह सीट बीजेपी के खाते में गई और संध्या राय ने अपनी जीत दर्ज कराई.

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