Lok Sabha Elections: खंडवा सीट पर क्या बीजेपी को सेंध लगाने में कामयाब होगी कांग्रेस? जान लीजिए पूरा चुनावी गणित

जय नागड़ा

08 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 8 2024 3:02 PM)

खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने काफी मंथन के बाद कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया है, इसके साथ ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या कांग्रेस इस बार खंडवा सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब होगी?

खंडवा लोकसभा सीट.

khandwa Lok Sabha

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MP Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने काफी मंथन के बाद प्रत्याशी घोषित किया है, इसके साथ ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या कांग्रेस इस बार खंडवा सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब होगी. क्या बीजेपी का गढ़ बन चुकी इस सीट पर इस बार सेंध लगाने में कांग्रेस को सफलता मिलेगी, असल में, यहां से कांग्रेस में जिस नाम पर सबसे ज्यादा चर्चा थी, वो हैं अरुण यादव? लेकिन लम्बी जद्दोज़हद के बाद खंडवा से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर नरेंद्र पटेल का जो नाम आया है, उससे कांग्रेस में ही गहरी निराशा है.

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नरेंद्र पटेल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के समर्थक माने जाते हैं और हाल ही के विधानसभा चुनाव में बड़वाह से कांग्रेस प्रत्याशी के बतौर उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. दरअसल, इस नाम की घोषणा के साथ ही यहां भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ़ हो गया है, यह कांग्रेस ने चुनाव लड़ने की औपचारिकता भर निभाई है.

बीते शनिवार को कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित सूची जारी हुई, जिसमें खंडवा संसदीय क्षेत्र से 63 वर्षीय नरेंद्र पटेल के नाम की घोषणा हुई है. इसको लेकर कांग्रेस के अंदर ही कार्यकर्ता निराश हो गए हैं. दरअसल नरेन्द्र पटेल की राजनीति सिर्फ सनावद-बड़वाह तक सीमित है, जबकि खंंडवा लोकसभा क्षेत्र में चार जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र खण्डवा, मान्धाता और पंधाना आते हैं. जबकि बुरहानपुर के अलग जिला बनने से पहले यहां की सात विधानसभा क्षेत्र और देवास जिले का बागली विधानसभा क्षेत्र इसमें शामिल थे. 

8 विधानसभा में भीकनगांव पर कांग्रेस का कब्जा

तब खरगोन जिले की कोई विधानसभा इसमें शामिल नहीं थी लेकिन परिसीमन के बाद खंडवा जिले की ही हरसूद विधानसभा क्षेत्र को बैतूल में शामिल किया गया. खरगोन जिले के बड़वाह और भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र इसमें बाद में शामिल हुए. खंडवा की आठ विधानसभा क्षेत्रों में इस समय सिर्फ एक भिकनगांव में कांग्रेस से विधायक है, जबकि बाकी सातों विधानसभा में भाजपा काबिज़ है. यहां भाजपा ने ज्ञानेश्वर पाटिल को ही अपना प्रत्याशी बनाया है, जो दो साल पहले हुए लोकसभा उपचुनाव में निर्वाचित हुए हैं. इसके पहले यहां से बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान छह बार सांसद रहे हैं, कोविड के दौरान उनके आकस्मिक निधन से यह सीट खाली हुई थी और यहां उपचुनाव कराने पड़े थे.  

अरुण यादव के इनकार के बाद कांग्रेस ने चुना प्रत्याशी 

बता दें कि यहां कांग्रेस से अरुण यादव ही सबसे सशक्त प्रत्याशी थे, लेकिन उन्होंने स्वयं यहां से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था. अरुण यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ने की मंशा ज़ाहिर की थी, खंडवा से अपने समर्थक नरेंद्र पटेल का नाम दिया था. अब कांग्रेस के सूत्र बताते है कि टिकट घोषित करने में देरी की वज़ह यही थी कि पार्टी हाईकमान चाहता था कि अरुण यादव खंडवा से चुनाव लड़ें, लेकिन वो इंकार करते रहे और इस बात पर भी अड़े रहे कि उनके समर्थक नरेन्द्र पटेल को टिकट दिया जाये. पार्टी हाईकमान नरेंद्र पटेल के नाम पर सहमत नहीं था, लेकिन अरुण यादव ने अपने वीटो का इस्तेमाल कर नरेंद्र पटेल को टिकट दिलवा दिया.  

कौन हैं विधानसभा हारे नरेंद्र पटेल? 

नरेंद्र पटेल का कोई स्वतंत्र राजनैतिक अस्तित्व नहीं है, उनकी पहचान ताराचंद पटेल के भतीजे के तौर पर होती है, जो यहां कभी खरगोन से सांसद रहे हैं. वे कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व सुभाष यादव के करीबी माने जाते थे. मैट्रिक तक पढ़े पटेल के खाते में कोई बड़ी सामाजिक या राजनैतिक उपलब्धि भी नहीं है, विधानसभा चुनाव में वे बड़वाह से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे हैं. उन्हें इस चुनाव में 5499 मतों के अंतर से भाजपा के सचिन बिरला ने पराजित किया था. जबकि खंडवा से कांग्रेस के जो प्रबल दावेदार थे उनमे ठाकुर राजनारायण सिंह, अवधेश सिसोदिया, ठाकुर सुरेन्द्र सिंह, सुनीता सकरगाए जैसे महत्वपूर्ण नाम थे जो भले जीत की गारंटी नहीं होते तो भी मुकाबले को रोचक जरूर बना सकते थे. 

खंडवा से कुशाभाऊ ठाकरे भी बने थे सांसद

खंडवा में 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बाबूलाल तिवारी ने जीत दर्ज की थी. बाबूलाल तिवारी 1957 में भी जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे. 1962 में कांग्रेस के महेशदत्त मिश्रा, 1967 और 1971 में गंगाचरण दीक्षित ने जीत दर्ज की.1979 में जनता पार्टी के परमानंद गोविंदजीवाला और जनता पार्टी की टिकट पर ही 1979 में कुशाभाऊ ठाकरे ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1980 में कांग्रेस के ठाकुर शिवकुमार सिंह, 1984 में कांग्रेस के कालीचरण सकरगाए, 1989 में बीजेपी के अमृतलाल तारवाला, 1991 में कांग्रेस के ठाकुर महेंद्र कुमार सिंह, 1996, 1998, और 1999 में बीजेपी के नंद कुमार चौहान ने जीत हासिल की. इसके बाद 2009 में कांग्रेस के अरुण यादव खंडवा के सांसद बने. हालांकि 2014 में नंदू भैया ने फिर से वापसी की और सांसद बने. 

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