Madhya Pradesh Rajya Sabha Elections: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya sindhiya) के राज्यसभा (Rajyasabha) से इस्तीफा देने के बाद राज्यसभा की एक सीट खाली हो गई थी. जिस पर अब निर्वाचन आयोग (election commission of india) जल्द ही चुनाव कराने वाला है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सवाल उठ रहा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) मध्य प्रदेश के कोटे से किसे राज्यसभा भेजती है. इस रेस में कई सारे नाम इस समय चल रहे हैं. लेकिन, दांव किस नाम पर लगेगा? ये बड़ा सवाल है. आइये इस सवाल को समझने की कोशिश करते हैं.
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आपको बता दें लोकसभा चुनाव में गुना लोकसभा सीट (Guna Loksabha) से ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya sindhiya0 को टिकिट दिया गया था. इस सीट से प्रचंड जीत के बाद उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिली. जिसके बाद उन्होंने राज्यसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. जिस सीट से सिंधिया राज्यसभा सांसद थे. उस सीट का कार्यकाल ढेड़ साल से भी अधिक का बचा हुआ है. ऐसे में इस सीट पर एक बार फिर चुनाव होने वाले हैं. अंक गणित में बीजेपी मजबूत है तो साफ तौर पर ये सीट एक बार फिर बीजेपी के पाले में जाएगी.
बीजेपी किसे बनाएगी अपना प्रत्याशी?
खाली हुई राज्यसभा सीट पर प्रदेश के कई दावेदार नजर आ रहे हैं. कई नाम काफी तेजी से चर्चा में हैं. लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा मजबूती से केपी यादव (KP YADAV) का नाम सामने आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने गुना लोकसभा सीट से प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, "गुना वालों को दो नेता मिलेंगे" "एक ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे केपी यादव, केपी की चिंता आप मुझ पर छोड़ दो" "अब केपी यादव को आगे बढ़ाने का काम हमारा है"
अमित शाह का यही एक वादा अब फिर चर्चा में है. ऐसा माना जा रहा है कि क्या पार्टी और अमित शाह का वादा निभाने का समय आ गया है? अगर हां तो फिर के पी यादव को ही राज्यसभा भेजा जाएगा.
केपी गुना से सांसद थे, उनकी जगह सिंधिया को दिया गया टिकट
ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी उन्हें राज्यसभा के जरिए ही दिल्ली बुलाएगी. जैसा की उनके साथ और गुना की जनता के साथ गृहमंत्री अमित शाह ने वादा किया था. अब देखना होगा कि ये वादा पार्टी की तरफ से पूरा होता है या फिर नहीं. हाल फिलहाल की बात करें तो के पी यादव खासे सक्रिय बने हुए हैं. फिर चाहे भोपाल की बात या दिल्ली की वे हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
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दिल्ली जाएंगे या मध्य प्रदेश में ही रहेंगे यादव?
कुछ लोगों का कहना यह भी रहता है कि केपी यादव को लेकर अगर आला कमान देरी कर रहा है. तो इसकी वजह क्या है? कुछ यह भी मानते हैं कि केपी यादव को उनके सब्र का फल मिलेगा. लेकिन, हां सियासत में सवाल उठते ही हैं और सवाल के बाद समीकरण बनते हैं. गणित लगते हैं तो उसी गणित में बड़ा सवाल यही है कि केपी यादव दिल्ली जाएंगे या मध्य प्रदेश में रहेंगे. हालांकि राज्यसभा की जो सीट सिंधिया के गुना से चुने जाने के बाद खाली हुई है. उसको लेकर के पी यादव सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं.
बीजेपी कर सकती है कुछ सरप्राइज
अक्सर बीजेपी आलाकमान ने अपने निर्णयों से दिखाया है कि जो भी नाम राजनीतिक हलकों में चर्चाओं में आ जाते हैं, फिर उनका चयन बीजेपी आलाकमान द्वारा नहीं किया जाता है. अमूमन बीजेपी आलाकमान ऐसे नाम सामने रखता है, जिनके बारे में राजनीतिक पंडितों द्वारा अनुमान तक नहीं लगाया गया होता है. हो सकता है कि बीजेपी आलाकमान कांतदेव सिंह, केपी यादव, माधवी लता और मुकेश चतुर्वेदी के स्थान पर किसी अन्य को ही राज्यसभा भेजने के लिए आगे कर दे. ऐसे में राज्यसभा की रिक्त सीटों के चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार किया जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव के ऐलान के आसपास ही बीजेपी आलाकमान उस नाम को सार्वजनिक करेगा, जिसे राज्यसभा में भेजने का फैसला बीजेपी ले चुकी है.
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