MP Election: बुंदेलखंड में कांग्रेस के कब्जे वाली 5 सीटों पर BJP ने क्यों खेला इन प्रत्याशियों पर दांव, जानें

अमन तिवारी

17 Aug 2023 (अपडेटेड: Aug 17 2023 1:24 PM)

MP Election 2023: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Chunav) का बिगुल बज चुका है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों की तरफ से चुनावी तैयारियां की जा रही हैं. इन सब के बीच बीजेपी ने आज अपने 39 उम्मीदवारों के नाम घोषित (BJP Candidate List) कर दिये हैं. इन नामों में अधिकतर उन विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार […]

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MP Election 2023: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Chunav) का बिगुल बज चुका है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों की तरफ से चुनावी तैयारियां की जा रही हैं. इन सब के बीच बीजेपी ने आज अपने 39 उम्मीदवारों के नाम घोषित (BJP Candidate List) कर दिये हैं. इन नामों में अधिकतर उन विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार घोषित किए गए हैं जहां बीजेपी पिछले चुनाव में हारी थी.

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बीजेपी की इस लिस्ट में बुंदेलखंड के छतरपुर (Chhatarpur), बंडा (Banda), गुनौर, महाराजपुर और पथरिया विधानसभा सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा की हैं. छतरपुर से पूर्व मंत्री ललिता यादव, पथरिया से लखन पटेल , महाराजपुर विधानसभा से कामाख्या प्रताप सिंह (टीका राजा), गुनोर से राजेश वर्मा और बंडा से वीरेंद्र लम्बरदार को मौका दिया गया है. आपको बता दें इन पांचों ही सीटों को पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी से छीनकर कांग्रेस ने अपने पाले में ले लिया था.

बुदेलखंड से जिन उम्मीदवारों को मिली जगह, जाने उसकी वजह

छतरपुर से ललिता यादव ही क्यों?

छतरपुर विधानसभा से वर्तमान में कांग्रेस की तरफ से आलोक चतुर्वेदी विधायक हैं. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां से बीजेपी ने मौजूदा विधायक ललिता यादव का टिकिट काटकर नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना सिंह को दिया था. वहीं ललिता यादव को उमा भारती का गढ़ कहे जाने वाले बड़ामलहरा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा था. पार्टी के इस फैसले का परिणाम ये हुआ कि बीजेपी ने अपने गढ़ बड़ामलहरा को तो खाे ही दिया था. इसके साथ ही कांग्रेस ने छतरपुर में जीत दर्ज कर की थी.

चुनाव हारने के बाद से ही ललिता यादव ने बड़ामलहरा और छतरपुर की हार के पीछे उनकी टिकिट कटना बड़ा कारण बताया था. ललिता ने कई महीने पहले ही ऐलान कर दिया था, कि इस बार वो किसी भी कीमत पर अपनी पुरानी सीट पर ही चुनाव लड़ेंगी. इसके अलावा वे किसी अन्य सीट पर चुनाव नहीं लड़ेंगी. यही कारण है कि बीजेपी आलाकमान ने चुनाव के तीन महीने पहले ललिता यादव के नाम की घोषणा कर दी है, ताकि चुनाव की तैयारियां करने का समय मिल जाए.

बंडा विधानसभा से प्रत्याशी घोषित करने के पीछे की वजह

बंडा विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक तरवर सिंह लोधी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगती रहीं हैं. क्योंकि इनके भाई कहे जाने वाले बड़ामलहरा से विधायक प्रदुम्न सिंह लोधी और दमोह से पूर्व विधायक राहुल लोधी कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि तरवर सिंह भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं और BJP उन्हें टिकट दे सकती है, लेकिन बीजेपी ने बंडा से उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर इन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है.

बंडा से बीजेपी ने वीरेंद्र लम्बरदार को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. अगर यहां के दावेदारों की बात करें तो पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर काफी समय से यहां सक्रिय दिखाई दे रहे थे और ऐसा माना भी जा रहा था कि बीजेपी एक बार फिर हरवंश सिंह राठौर को चुनावी मैदान में उतार सकती है. इसके अलावा पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव भी यहां से दावेदारी कर रहे थे. हालांकि नाम घोषित होने के बाद अब बीजेपी की तरफ से कितने बागी मैदान में आएंगे ये तो समय ही बताएगा.

BSP की इकलौती सीट पथरिया विधानसभा पर प्रत्याशी घोषित 

पथरिया विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां बीजेपी का लगातार 20 साल तक कब्जा रहा. बीजेपी यहां लगातार नए चेहरे को मैदान में उतारती थी, और चुनाव जीतने में सफल रहती थी, लेकिन 2018 में बीजेपी का ये किला चतुष्कोणीय संघर्ष के कारण ढह गया. BSP के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी रामबाई परिहार अप्रत्याशित तरीके से चुनाव जीत गयीं. बीजेपी के प्रत्याशी लखन पटेल ने पिछले विधानसभा चुनाव में अच्छी टक्कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद वे महज कुछ हजार वोटों से ही चुनाव हार गए. यही कारण है कि बीजेपी ने एक बार फिर अपने पुराने सिक्के को आजमाने का दांव लगाया है.

महाराजपुर विधानसभा से कामाख्या प्रताप सिंह (टीका राजा) चुनावी मैदान में

2018 के विधानसभा चुनाव से पहले महाराजपुर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है. चुनाव में बीएसपी के कारण त्रिकोणीय मुकाबला हमेशा देखने को मिलता रहता है. महाराजपुर विधानसभा सीट में कांग्रेस की बात करें तो यहां पार्टी की स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है. 2013 के चुनाव में तो कांग्रेस तीसरे स्थान पर आई थी, जबकि बसपा यहां दूसरा स्थान हासिल कर पा रही थी. 2018 में महाराजपुर में कुल 37 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2018 में कांग्रेस से नीरज दीक्षित ने भारतीय जनता पार्टी के मानवेंद्र सिंह को 14 वोटों के मार्जिन से हराया था. यही कारण है कि बीजेपी ने अपने गढ़ को वापिस लेने के लिए कामाख्या प्रताप सिंह (टीका राजा) को अपना प्रत्याशी बनाया है.

पन्ना जिले की गुनौर विधानसभा से राजेश वर्मा प्रत्याशी घोषित 

पूर्व विधायक राजेश वर्मा को भाजपा ने गुनौर से अपना प्रत्याशी घोषित किया है. विधायक रहते वे क्षेत्र में लगातर उपस्थित बनाए रखते हुए कई विकास कार्य किए हैं. रेल के लिए पन्ना से सतना तक पैदल चले, पूर्व विधायक राजेश वर्मा के पिता गनेशी लाल वर्मा भी विधायक थे. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राजेश वर्मा कांग्रेस के शिवदयाल बागरी से महल कुछ हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी राजेश वर्मा क्षेत्र में खासे एक्टिव बने हुये थे, इसी कारण बीजेपी ने इनको एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है. बीजेपी से राजेश के अलावा अन्य दावेदारों की बात करें तो अमृत प्रजापति, अमिता बागरी और पूर्व विधायक महेंद्र बागरी प्रमुख रूप से दावेदारों की दौड़ में थे.

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