अनूपपुर जिले में जंगली हाथियों ने मचाया इस तरह कोहराम, युवक की मौत के बाद भड़के ग्रामीण
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Anuppur News: मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के गांवों में पिछले एक महीने से जंगली हाथियों ने आतंक मचा रखा है. जंगली हाथी किसानों की खड़ी फसल को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं, साथ ही भोजन की तलाश में घरों में रखे अनाज को पाने घरों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. आज जैतहरी वन परिक्षेत्र के गोबरी गांव के जंगल से लगे खेतों में हाथी गेंहू की फसल को खा रहा था. ग्रामीणों द्वारा फसल को बचाने हाथी को भगाने का प्रयास किया गया. लेकिन हाथी ने भागने की जगह ग्रामीणों पर हमला कर दिया.
हाथी के हमले में एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई. हाथी के हमले से युवक की मौत की खबर सुनते ही आस पास की कई गांवों के लोग एकत्रित हो गए और हंगामा करने लगे. आक्रोशित ग्रामीणों ने पहले वन विभाग की टीम को अपना निशाना बनाया और फिर वन विभाग के वाहनों में तोड़ फोड़ कर दी. हालात बिगड़ते देख बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ जिले के बड़े प्रशासनिक अधिकारी मौके के लिए रवाना हो गए. मिली जानकारी के अनुसार हंगामे के बीच अज्ञात व्यक्ति द्वारा गोली भी चलाई गई जिससे दो ग्रामीण घायल हो गए जिनका इलाज अस्पताल में किया जा रहा है.
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश का शहडोल संभाग हाथी – मानव द्वंद्व का नया केंद्र बन गया है. पिछले 4 वर्षों में हाथी मानव संघर्ष में तकरीबन 25 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं हाथियों द्वारा बड़ी संख्या में ग्रामीणों के घरों को क्षतिग्रस्त कर फसलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. 2018 में छत्तीसगढ़ की सीमा पार कर उमरिया जिले के बांधवगढ़ पहुंचा 40 हाथियों के समूह ने यहां अपना रहवास बना लिया है. इस समूह के सदस्यों की संख्या अब बढ़ कर 80 के करीब हो गई है और ये अलग अलग समूहों में बंट गए हैं. यही जंगली हाथी ग्रामीणों की फसलों और घरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पिछले सात दिनों में जंगली हाथी के हमलों में अनूपपुर में दो, शहडोल में एक और उमरिया जिले में एक व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
वन विभाग पर ग्रामीण लगा रहे लापरवाही के आरोप
पिछले चार वर्षों में मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग में जंगली हाथियों ने आतंक मचा रखा है. हाथियों के हमलों से ग्रामीणों में बहुत आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और वन विभाग उनकी जानमाल की सुरक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है. वन विभाग का अमला भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है. स्थानीय वन अमले के पास हाथियों से निपटने की न तो कोई योजना है और न ही कोई संसाधन. वन अमला हाथियों के विषय में अनुभवहीन और संसाधन विहीन है. यही वजह है की ग्रामीण वन विभाग से आक्रोशित हैं. ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए वन विभाग अब इस हमलावर हाथी को पकड़ने की योजना बना रहा है.
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