MP के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में बांटी जा रहीं अमानक दवाएं, हंगामा मचा तो लगाई गई रोक

रवीशपाल सिंह

ADVERTISEMENT

मध्य प्रदेश के जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में अमानक दवाएं बांटी जा रही हैं.
mp_hospitals_news
social share
google news

न्यूज़ हाइलाइट्स

point

मध्य प्रदेश के जिला अस्पतालों में बांटी जा रही है अमानक दवाएं

point

कई जिलों से जानकारी सामने आई तो लगाई गई बांटने पर रोक

point

स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा- दोषियों पर कार्रवाई होगी

MP Big News: मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में अमानक जीवनरक्षक दवाओं का मामला सामने आया है, जिसके बाद हंगामा मच गया है. सरकार ने अमानक पाई गई दवाओं पर रोक लगाकर जांच बैठा दी है. वहीं डॉक्टरों ने मामले में एफआईआर की मांग कर दी है. अब कांग्रेस पूछ रही है कि अमानक दवाओं की वजह से कितनों की जान गयी सरकार वो आंकड़ा जारी करे.

आमतौर पर आपने देखा होगा कि आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर में गंभीर रूप से भर्ती मरीज़ों के लिए अकसर दवा और दुआ दोनों की जाती है. ताकि वो जल्दी से ठीक हो सके लेकिन मध्यप्रदेश में इन्हीं मरीज़ों को दी जाने वाली दवाओं को लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. एमपी के कई सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में मरीज़ों को जो दवाईयां दी जा रही थी वो अमानक सब स्टैंडर्ड पाई गई हैं. जिससे मरीज़ों की सेहत में तो कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि उनकी जान पर ज़रूर बन आई है. 

इंदौर में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

दरअसल, इस मामले का खुलासा इंदौर में कुछ दिनों पहले हुआ, जब एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने पाया कि मरीजों को इलाज के तौर पर जो दवाई दी जा रही है उसका उम्मीद के मुताबिक असर नहीं हो रहा है. इसके बाद यहां के डीन ने आपूर्ति की गई दवाओं का लैब टेस्ट करवाया तो मालूम हुआ कि जीवन रक्षक दवाओं और एंटीबायोटिक्स सहित दवाओं का एक बड़ा बैच अमानक है. 

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

जिसके बाद एमपी पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन को चिट्ठी लिखी गयी जिसने इन दवाओं के वितरण पर न केवल रोक लगाई बल्कि जहां-जहां दवाईयां बंट चुकी थी, वहां से उन्हें वापस बुलाने के आदेश जारी कर दिए गए. बता दें कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वाथ्य केंद्रों, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दवाएं आपूर्ति करने के लिए एमपी पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन ही नोडल एजेंसी है.

ये भी पढ़ें: 'यदि आरोपी दोषी भी है तो भी घर ढहा देना जायज नहीं', सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त

इंदौर के बाद देवास, धार, बैतूल और मुरैना में भी अमानक दवाएं मिली

लेकिन यह मामला सिर्फ एक शहर का नहीं निकला. इंदौर के बाद देवास, धार, बैतूल, मुरैना से भी ऐसे मामले सामने आए. सिर्फ जीवनरक्षक दवाएं ही नहीं बल्कि डायरिया और दस्त से पीड़ित बच्चों को दिए जाने वाला ओआरएस के साथ साथ कैल्शियम और विटामिन की कई दवाएं भी टेस्ट में अमानक पायी गई है. 

ADVERTISEMENT

बड़े पैमाने पर अमानक दवाओं की जानकारी सामने आने पर सरकार के भी हाथ पांव फूल गए. जिसके बाद दवा आपूर्ति करने वाले एमपी पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन ने अमानक दवाओं के बैच की जानकारी एमपी के सभी सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, सभी सीएमएचओ को भेज कर उन्हें ना बांटने और यदि वो दवाएं बंट गयी है तो उन्हें वापस बुलाने के निर्देश दिए हैं. 

ADVERTISEMENT

अब एमपी सरकार इस मामले में जांच की बात कह रही है. सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने एमपी तक से बात करते हुए कहा कि उन्होंने इस ममले में बैठक भी की और रिपोर्ट भी मंगवाई है. जो दोषी होगा उसपर कार्रवाई होगी. 

ये भी पढ़ें: मुरैना में थाने में लटका मिला हत्या के आरोपी का शव, थाना TI समेत 4 पुलिसकर्मी सस्पेंड, मचा हड़कंप

बता दें कि जो दवाईयां और इंजेक्शन अमानक पाए गए हैं उनका काम क्या होता है...

- Fantanyl Citrate Injection (फेंटेनाइल का उपयोग एनेस्थीसिया के लिए किया जा सकता है। यह मरीज़ के मस्तिष्क में दर्द के संकेतों को रोकने का काम करता है)

- Atropine Sulphate Injection (यह कार्डिएक अरेस्ट के मामलों में दिल की धड़कन को सामान्य करने या दोबारा शुरू करने का काम करता है)

- Heparin Injection (हेपारिन का इस्तेमाल नसों, धमनियों, फेफड़ों या दिल में खून के थक्कों के उपचार या रोकथाम के लिए किया जाता है. ओपन-हार्ट सर्जरी, डायलिसिस में इसका इस्तेमाल आम है)

कांग्रेस ने कहा- मरीजों की मौत का आंकड़ा सार्वजनिक करे सरकार

इस मामले में कांग्रेस विधायक डॉक्टर विक्रांत भूरिया ने सरकार पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगाते हुए पूछा है कि इन अमानक दवाओं से राज्य में अब तक कितने मरीज़ों की मौत हुई सरकार को उसका आंकड़ा सार्वजनिक करना चाहिए.

शासकीय महासंघ ने लिखी सरकार को लिखा पत्र

इस मामले में अब सरकारी डॉक्टर भी सामने आ गए हैं. डॉक्टर राकेश मालवीय, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश शासकीय/स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को चिट्ठी लिख दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है. बहरहाल, इस मामले ने तूल पकड़ा तो है लेकिन देखना यह है कि सरकार ICU में भर्ती गंभीर मरीज़ों और ऑपरेशन थियेटर में ज़िंदगी और मौत से जूझने वाले मरीज़ों की जान के साथ खिलवाड़ के इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है.

ये भी पढ़ें: सिंगरौली में किसान पर रेत माफिया ने चढ़ा दिया ट्रैक्टर, मौत से मचा बवाल, कमलनाथ का CM मोहन पर निशाना

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT