MP में मर चुके लोगों के नाम पर जारी हो गए आयुष्मान कार्ड, कैग की रिपोर्ट में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा

हेमेंदर शर्मा

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CAG Report on MP Ayushman Card Scam: प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड योजना (Pradhan Mantri Ayushman Card Yojana) को गरीबों के इलाज के उदेश्य से शुरू किया गया था. मध्यप्रदेश में इस योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है का अस्पतालों में इस योजना का इस कदर दुरुपयोग किया गया है कि आप भी हैरत में पड़ जाएंगे. इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के बाद हुआ है. MP Tak ने कैग की रिपोर्ट की विस्तार से पड़ताल की है…

दरअसल, मध्यप्रदेश (MP)  के कई अस्पतालों ने मर चुके लोगों का फर्जी तरीके से इलाज कर दिया गया, उनके इलाज के लिए छोटी-मोटी नहीं, अच्छी खासी रकम लेकर अपने जेब में डाल ली गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार, 100 बेड की क्षमताओं वाले निजी अस्पतालों ने 230 मरीजों एडमिट करने को दर्शाया है.

मृत मरीज का एक ही समय में कई अस्पतालों इलाज

कैग (CAG) की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna) में बड़े स्तर का फर्जीवाड़ा सामने आया है. बिना आधार के वेरिफिकेशन के ही करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया है. कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि 447 मरीज जिनकी अस्पताल में भर्ती हुए बिना ही मौत (Dead Body Tratment) हो गई, इन मरीजों के लिए भी 1.2 करोड़ की राशि क्लेम की गई. एक ही मरीज का एक ही समय में एक साथ कई अस्पतालों में इलाज किया गया. रिपोर्ट के अनुसार 8081 मरीजों का एक ही समय में एक साथ कई अस्पतालों में इलाज करवाया.

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अस्पताल ने क्षमता से दोगुने मरीजों को किया भर्ती: रिपोर्ट

भोपाल (Bhopal) का जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल (Jawaharlal Nehru Cancer Hospital) पूरे मध्य प्रदेश के 24 अस्पतालों में से एक है, जिसमें फर्जीवाड़ा सामने आया है. यहां 20 मार्च 2021 को सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल की मौजूदा क्षमता 100 मरीजों की थी, जबकि रिकॉर्ड बताते हैं कि उस दिन 233 मरीजों को भर्ती किया गया था. ऐसे में सवाल उठता है कि जिस अस्पताल की क्षमता ही उतने मरीजों को रखने की नहीं तो वहां दोगुने से भी अधिक मरीजों को कैसे रखा गया? पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन ने अपनी सफाई में कहा कि दिन में कई बार ऐसा होता है कि लोग कुछ समय तक ही भर्ती रहते हैं और उन्हें कुछ ही घंटो बाद छुट्टी( डिस्चार्ज) कर दिया जाता है. अस्पताल प्रबंधन के इन दावों में कितनी हकीकत है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. बहरहाल पूरे मामले बड़ा भ्रष्टाचार सामने है.

मामले में कुछ भी गलत नहीं हुआ: चिकित्सा शिक्षा मंत्री

पूरे मामले में सरकार (Shivraj Sarkar) ने अपनी तरफ से सफाई पेश है. प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) ने MP TAK से बातचीत में कहा “मैं मानता हूं जानबूझकर कुछ भी गलत नहीं किया गया है. कभी-कभी ऐसा होता है कि हर किसी के पास फोन नहीं होता है, जिसके पास फोन होता है उसका फोन नंबर दिया जाता है. फॉर्म में नंबर डालना जरूरी होता है इसीलिए दूसरे नंबरों को डाला जाता है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है.”

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बगैर वेरिफिकेशन के कर दिया पेमेंट

कैग (CAG) की रिपोर्ट में पूरे प्रदेश भर के 46 अस्पतालों को शामिल किया गया है. जिसमें पाया गया कि करीब 160.70 करोड़ बिना आधार वेरिफिकेशन के वितरित कर दिये गए हैं. कुछ रूपयों का भुगतान वितरण विकलांग कार्ड के आधार पर किया गया है तो वहीं 71645 रुपये का भुगतान अस्वीकृत कार्ड के माध्यम से किया गया था. पूरे प्रदेश भर की बात करें तो आयुष्मान कार्ड धारकों की संख्या 23 सितंबर 2018 तक 247,38533 थी.

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