Travel: ओरछा से इतनी दूरी पर दुनिया की सबसे अनूठी और खूबसूरत जगह, हजारों साल पुराना रहस्यों से भरा है इतिहास

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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खजुराहो को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है.

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पत्थर से निर्मित खजुराहो के मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना हैं.

Best Tourist Place: मध्य प्रदेश का खजुराहो (Khajuraho) जितना प्राचीन है, उतना ही खूबसूरत भी है. यहां के अनूठे और प्राचीन मंदिर दुनियाभर में मशहूर है. यही वजह है कि खजुराहो को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है और दुनियाभर से लोग यहां घूमने आते हैं.

खजुराहो मंदिर की खासियत

पत्थर से निर्मित खजुराहो के मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना हैं. खजुराहो के मंदिरों की सबसे बड़ी खासियत है, यहां मौजूद कामुक मूर्तियां. आमतौर पर मंदिरों में जहां भगवान की मूर्तियां आशीर्वाद मुद्रा में होती हैं, वहीं खजुराहो के मंदिरों की दीवारों पर नर-नारी की कामुक मूर्तियों का चित्रण किया गया है, जो बड़ा विचित्र है. खजुराहो के मंदिरो में रति क्रीड़ा, नृत्य मुद्राओं और प्रेम रस की प्रतिमाएं बनाई गई हैं. 

खजुराहो का इतिहास 1000 साल से भी पुराना है. जानकारी के अनुसार, 954 ईस्वी में खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल शासकों द्वारा करवाया गया था. इन मंदिरों के निर्माण से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं. 

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खजुराहो के अनोखे मंदिर

खजुराहो के मंदिरों को पूर्वी समूह, पश्चिमी समूह और दक्षिणी समूहों में बांटा गया है.  खजुराहो में हिन्दू मंदिरों के साथ ही जैन मंदिर भी मौजूद हैं. खजुराहो में निर्मित 8 मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, 6 भगवान शिव को, एक-एक गणेश और सूर्य को जबकि 3 मंदिर जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं. 

खजुराहो के सबसे प्रसिद्ध मंदिर

खजुराहो में 85 मंदिरों का निर्माण करवाया गया था. वर्तमान में करीब 25 मंदिर ही मौजूद हैं. कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो का सबसे प्रसिद्ध और इन सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है. इसके अलावा मतंगेश्वर मंदिर, देवी जगदंबा मंदिर, चौंसठ योगिनी मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, वामन मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, चतुर्भुज मंदिर और दूल्हादेव मंदिर भी प्रसिद्ध है. 

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चौसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो

मंदिरों में कामुक मूर्तियों का रहस्य?

खजुराहो के मंदिरों की चित्रकारी देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. मंदिरों की ऊंची-ऊंची दीवारों पर बड़ी संख्या में कामुक मूर्तियां बनाई गई हैं. मंदिरो में इस तरह की मूर्तियां होना विचित्र है. चंदेल राजाओं ने इन मूर्तियों का निर्माण करवाया था. हालांकि मंदिरों में इस तरह का मूर्ति निर्माण करवाना आज भी रहस्य बना हुआ है. इसे लेकर कई तरह के मत हैं. 

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कहा जाता है कि चंदेल शासकों के समय में इस क्षेत्र में तांत्रिक समुदाय की वाममार्गी शाखा का वर्चस्व था. ये योग और भोग दोनों को मोक्ष का साधन मानते थे. ये मूर्तियां इसी को दर्शाती हैं. 

कैसे पहुंचें?

खजुराहो ओरछा से करीब 171 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. खजुराहो पहुंचने के लिए रेल, सड़क और वायुमार्ग तीनों की ही सुविधा है. खजुराहो एयरपोर्ट शहर से मात्र 3 किलोमीटर दूर है. इसके अलावा बस और ट्रेन से भी खजुराहो कनेक्टेड है. 

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