Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार भी अलग ही अंदाज में होता है. ताजा मामला एमपी के विदिशा जिले का है, जहां पर नहर बनाने के लिए ली गई जमीन ही गायब हो गई. अब न तो जमीन दिख रही है और न ही नहर. लेकिन कागजों में किसानों से जमीन अधिग्रहण भी हुआ और मुआवजा राशि भी वितरित हो गई. लेकिन ग्राउंड पर जमीन भी गायब है और नहर भी.
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मध्यप्रदेश के विदिशा में एक नहर की जमीन ही गायब हो गई है. जब इस मामले की खबर नहरों की जिम्मेदारी संभालने वाले सम्राट अशोक सागर परियोजना विभाग को पता चली, तो वो भी हैरान रह गया. विभाग ने राजस्व विभाग को पत्र लिखकर जमीन ढूंढने की गुहार लगाई. जब इस पूरे मामले पर जिले के कलेक्टर से सवाल किया गया तो कलेक्टर ने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है , जांच करा रहे है. जो भी अतिक्रमण निकलेगा हम निश्चित ही इस पर कार्यवाही करेंगे.
आपको बता दें कि दरअसल सम्राट अशोक सागर संभाग क्रमांक 2 के अंतर्गत विदिशा, दौलतपुरा और मदन खेड़ा के लिए नहर बनाई गई थी, जिसका नाम विदिशा उदवहन सिंचाई योजना रखा गया था. अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से भूअर्जन की प्रक्रिया कराई गई थी. जिसमें एक दर्जन किसानों की भूमि लेकर सिंचाई के लिए विधिवत योजना बनाकर नहर डाली गई थी. ताकि सिचाई की पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था हो और सभी किसान अच्छे से अपनी-अपनी उपज ले सके.
यह नहर विदिशा शहर से सटी बेतवा नदी के पास बनाई गई थी. पानी लिफ्टिंग के लिए लाखो रूपये की मशीन भी लगाई गई लेकिन आज जमीन के साथ इस मशीन के सामान भी चोरी हो गए हैं.
किसानों को जमीन का मुआवजा दिया कागजों पर, ग्राउंड पर हालात कुछ और
आपकों बता दे 1980-85 और 1990 के दौरान जमीनों के दाम कौड़ियों के मोल थे. उसे समय किसानों ने अपनी जमीन का भूअर्जन किया था और विधि अनुसार गाइडलाइन के अनुसार उन्हें मुआवजा भी दिया गया था. समय बदला, चक्र बदला, शहर का विकास हुआ और देखते-देखते जहां पर नहर बनी थी, वहां पर बस्तियां बसने लगीं.
लेकिन लोगों ने कॉलोनी की आड़ में सरकारी जमीन को भी दबा लिया. नहर कब टूट गई और उसकी सामग्री कहां चली गई आज तक किसी को पता नहीं है और ना ही इसका कोई जवाब देना चाहता है. जब इस पूरे मामले में जिले के कलेक्टर बुद्धेश कुमार वेघ को बताया तो कलेक्टर ने कहा यह मामला मेरे संज्ञान में आपने लाया है, किसने कब्जा किया है, इसकी पूरी जांच कराई जाएगी और सरकारी जमीन को मुक्त कराया जाएगा.
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