MP में अमरनाथ जैसी बेहद कठिन यात्रा, ऐसा क्या है जिसके दर्शन के लिए भक्त चढ़ जाते हैं 7 पहाड़?

पीताम्बर जोशी

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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मिनी अमरनाथ कहे जाने वाले वाले नागद्वारी की यात्रा शुरू हो चुकी है.

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इस यात्रा की चढ़ाई अमरनाथ जितनी ही कठिन मानी जाती है.

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यात्रा के दौरान 7 दुर्गम पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है.

Nagdwari Mela MP: मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहे जाने वाले वाले नागद्वारी की यात्रा शुरू हो चुकी है. दरअसल, पचमढ़ी के नागद्वारी को मिनी अमरनाथ के नाम से जाना जाता है. इस यात्रा की चढ़ाई अमरनाथ जितनी ही कठिन मानी जाती है. यात्रा के दौरान 7 दुर्गम पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है, तब कहीं जाकर नागराज श्री पद्म शेष के दुर्लभ दर्शन होते हैं. 

नागद्वारी की दुर्गम यात्रा

नागद्वारी यात्रा के रास्ते इतने दुर्गम हैं कि जान जोखिम में डालकर श्रद्धालु पहुंचते हैं. हर पल डर बना रहता है. कदम जरा भी डगमगाया तो सीधे गहरी खाई में गिरने का भय बना रहता है. बारिश के चलते पत्थरों पर फिसलन हो जाती है, ऐसे में ढलान पर खतरा बढ़ जाता है. श्रद्धालु बड़ी-बड़ी चट्टानों से होकर और कई बार तो बहते पानी को भी पार करके मंदिर दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

साल में सिर्फ 10 दिनों के लिए ही खुलता है रास्ता

नागद्वारी मंदिर श्रावण माह में सिर्फ 10 दिनों के लिए खुलता है. इसे भगवान महादेव शिव का दूसरा घर भी कहा जाता है.  नागद्वारी गुफा मार्ग सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोरक्षेत्र में आता है. सालभर यहां प्रवेश वर्जित रहता है. साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी यात्रा के चलते 10 दिनों के लिए इस रास्ते को खोला जाता है.

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5 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

10 दिनों तक लगने वाले इस मेले में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से लाखों श्रद्धालु नागद्वारी पहाड़ी पर गुफा के अंदर स्थित नागराज श्री पद्म शेष के दुर्लभ दर्शन के लिए पहुंचते हैं. नागद्वारी मेले में इस साल 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है.

पुलिस-प्रशासन मुस्तैद

मेला प्रभारी और एसडीएम संतोष तिवारी ने बताया कि मेले में एसडीओपी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और राजस्व विभाग के आरआई, पटवारियों के साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही करीब 700 पुलिस, 130 होमगार्ड, 50 आपदा मित्र, 12 एसडीईआरएफ के जवान सहित 1000 कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं. 

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नागद्वारी मेला शुरू होने से पहले महाराष्ट्र से कई सेवा मंडल यहां पहुंच चुके हैं. वहीं श्रद्धालुओं के लिए कालाझाड़ और नागफनी में पेयजल की व्यवस्था की गई है. 

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