DM साहब ने गरीब छात्राओं की सुनी परेशानी तो अपनी सरकारी कार से भेज दिया स्कूल, जानें फिर...

राजेश भाटिया

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बैतूल कलेक्टर की संवेदनशीलता की हर तरफ हो रही है चर्चा.
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बैतूल में दो छात्रों को प्राइवेट स्कूल नहीं दे रहा था टीसी

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बैतूल में दो छात्रों को प्राइवेट स्कूल नहीं दे रहा था टीसी

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आनन-फानन स्कूल ने टीसी दी, पूरी फीस भी माफ कर दी

Betul News Update: मध्य प्रदेश के जिले बैतूल में कलेक्टर की संवेदनशीलता सामने आई, जिसमें उन्होंने दो गरीब छात्राओं को टीसी लेने के लिए अधिकारियों के साथ अपनी कार से 40 किलोमीटर दूर भेज दिया. स्कूल फीस बकाया होने की वजह से दोनों छात्राओं को टीसी (Transfer Certificate) नहीं दे रहा था.

बैतूल के शाहपुर में स्थित प्राइवेट स्कूल गुड शेपर्ड में पलक ठाकुर और परी ठाकुर सातवीं और आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थीं. परी और पलक इस स्कूल से नाम कटाकर दूसरे स्कूल में पढ़ना चाह रही हैं और वहां उनका एडमिशन भी हो गया है. जब दोनों छात्राएं स्कूल में टीसी लेने गईं तो उन्हें टीसी देने से मना कर दिया गया. बताया जाता है कि इन दोनों छात्राओं की 70 हजार रुपए फीस बाकी थी, जिसके कारण उन्हें टीसी नहीं दी गई है. 

परेशान छात्राओं ने कलेक्टर से की शिकायत

टीसी के लिए बार-बार स्कूल के चक्कर लगाकर परेशान हुईं छात्राओं ने मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी को आवेदन देकर अपनी समस्या बताई. बच्चों की समस्या सुनकर कलेक्टर ने तत्काल आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त शिल्पा जैन के साथ इन बच्चियों को 38 किमी दूर शाहपुर अपनी कार से भेजा. शिल्पा जैन ने स्कूल प्रबंधन से बात की और दोनों बच्चियों की टीसी दिलवाई.

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टीसी मिल गई और कलेक्टर साहब की गाड़ी में घूमने को भी मिला: छात्राएं

कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी की इस संवेदनशीलता से छात्राएं और उनके परिजन खुश हो गए. छात्राओं ने कलेक्टर का धन्यवाद और आभार जताया है. बताया जा रहा है कि फीस देने में इन बच्चियों का परिवार सक्षम नहीं था, फीस की व्यवस्था करने में जुटा था हालांकि अब उनकी फीस माफ हो गई है. छात्रा पलक ठाकुर का कहना है कि मेरा एडमिशन दूसरे स्कूल में हो गया था, जिसके लिए मैं टीसी लेने आई थी. लेकिन टीसी के लिए मना कर दिया जिसको लेकर जनसुनवाई में गए थे. कलेक्टर सर के कारण टीसी मिल गई है और उनकी कार में भी घूमने मिला.

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स्कूल ने बताया- 70 हजार फीस बकाया थी: शिल्फा जैन

आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त शिल्पा जैन का कहना है कि जनसुनवाई में आवेदन मिला था जिसमें परी ठाकुर और पलक ठाकुर ने बताया था कि उन्हें टीसी और मार्कशीट नहीं मिल रही है, जिसको लेकर कलेक्टर ने अपनी कार से बैतूल से शाहपुर भेजा जहां स्कूल प्रबंधन ने बताया कि इन छात्राओं की 70000 रुपए फीस बाकी थी. दोनों छात्राओं को टीसी और मार्कशीट मिल गई है.

कलेक्टर ने कहा- छात्राओं को टीसी लेने गाड़ी से भेज दिया 

कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी का कहना है कि जनसुनवाई में दो छात्राएं आई थीं, ये दोनों छात्राएं शाहपुर के गुड शेपर्ड स्कूल में पढ़ती थीं, अब वे दोनों वह दोनों दूसरे स्कूल में पढ़ना चाहती हैं. फीस बाकी होने के कारण स्कूल प्रबंधन टीसी नहीं दे रहा था, जिसको लेकर मैं अपनी कार से दोनों छात्राएं को शाहपुर भेजा साथ में अधिकारियों को भेजा और उनको टीसी दिलवाई.

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