Bhojpur Temple: पांडवों ने की थी इस मंदिर की स्थापना, पर ऐसा क्या हुआ कि अधूरा रह गया ये शिवमंदिर

राजेश रजक

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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भोपाल के करीब स्थित भोजपुर मंदिर को पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है.

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सावन के महीने में बड़ी तादाद में भक्त भोजपुर मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

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इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक है. ये महाभारत कालीन माना जाता है.

Bhojpur Temple: सावन का महीना शुरू होते ही शिवालयों में भक्तों की कतार लगना शुरू हो गई है. मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंच रहे हैं. आज हम आपको दुनिया के सबसे विशाल शिवलिंग और अधूरे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं  भोपाल के करीब स्थित भोजपुर मंदिर के बारे में, जिसे पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि भोजपुर मंदिर में क्या खास है.

सावन के महीने में बड़ी तादाद में भक्त भोजपुर मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सुबह 7 बजे से ही मंदिर परिसर में शिव भक्तों का तांता लग जाता है. रोजाना सैंकड़ों भक्तों के द्वारा शिव अभिषेक किया जाता है. 

भोजपुर का विशाल शिवलिंग

भोजपुर मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है इसका शिवलिंग. भोजपुर मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंग की लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट), और केवल लिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट) है. ये दुनिया के विशालतम शिवलिंगों में से एक है. ये एक ही पत्थर से बनाया गया दुनिया का सबसे विशाल शिवलिंग है.  शिवलिंग इतना बड़ा है कि अभिषेक करने के लिए पुजारी जलहरी पर चढ़ते हैं और फिर पूजा-अर्चना करते हैं. 

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किसने बनवाया भोजपुर मंदिर? 

रायसेन जिले के भोजपुर में ये विश्व प्रसिद्ध विशाल शिव मंदिर है, जो बेहद प्राचीन है. भोजपुर मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा किया गया था, इसीलिए मंदिर का नाम भोजपुर मंदिर पड़ा. जानकारी के मुताबिक, मंदिर का निर्माण 1010-1053 ईस्वी के दौरान किया गया. वहीं मान्यताओं के मुताबिक भोजेश्वर मंदिर का निर्माण महाभारत काल में किया गया था. 

रोग होने पर राजा ने बनवाया था मंदिर

भोजपुर मंदिर बेतवा नदी के तट पर स्थित है. कहा जाता है कि राजा भोज को कोढ़ चर्म रोग हो गया था, तब किसी ऋषि ने बताया कि 9 नदी 99 नाले के पानी को रोककर तालाब बनायें और शिवलिंग का अभिषेक कर स्नान करें. तब ऐसा ही किया और उनका चर्मरोग (कोढ़)ठीक हो गया था. उस विशाल तालाब के पानी से शिवमंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता था.

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पांडवों से भोजपुर मंदिर का संबंध

कुछ मान्यताओं के अनुसार भोजपुर के मूल मन्दिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी. कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों की माता कुंती ने इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी, लेकिन जैसे ही सुबह हुई पांडव लुप्त हो गए और मंदिर अधूरा ही रह गया. माता कुंती की हाइट 25 फीट बताई जाती है, वहीं शिवलिंग की ऊंचाई 11 फीट है.

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क्यों अधूरा है भोजपुर मंदिर?

सबसे खास बात ये है कि सदियों पुराना भोजपुर मंदिर आज भी अधूरा है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण एक ही रात में करना था, लेकिन सूर्योदय होने तक इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो पाया, जिसके बाद इसके निर्माण कार्य को रोक दिया गया. यही वजह है कि ये मंदिर आज भी अधूरा है. 

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