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MP: नए कानून के तहत पहली FIR भोपाल में दर्ज, एमपी में नया कानून लागू, क्या कुछ होगा बदलाव? जानें

रवीशपाल सिंह

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The Code of Criminal Procedure (CrPC) will be replaced with the Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS) 2023.
Criminal Justice Reboot-8: Old CrPC gets a huge digital & tech boost in new law
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MP News: देशभर में आज रात 12 बजे से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. 51 साल पुराने सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) ले ली है. भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय अधिनियम (BNS) ने ली है. और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के प्रावधान लागू हों गए हैं.  इसके लागू होने के बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पहली FIR दर्ज की गई है. देर रात 12:05 बजे पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस के तहत यह केस दर्ज किया गया है. 

राजधानी भोपाल में पहली FIR दर्ज

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हनुमानगंज थाने में नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत पहली FIR दर्ज की गई है. जानकारी के अनुसार धारा 173 के तहत गाली गलौज की धारा में केस दर्ज किया गया है. जानकारी के मुताबिक 40 वर्षीय प्रफुल्ल चौहान ने पहली FIR दर्ज कराई है. आपको बता दें चौहान ने गाली गलौच की एफआईआर दर्ज कराई है. जिस आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उसका नाम राजा उर्फ़ हरभजन है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. 

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देश भर में नए कानून लागू

आपको बता दें तीन नए आपराधिक कानून एक जुलाई से देशभर में लागू हो गए हैं, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आ गया और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो गया. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले लिया है. 

नए कानून से क्या होगा बदलाव? क्या कुछ होगा बदलाव?

  • नए कानूनों के लागू होने के बाद से आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला सामने आएगा. इसमें पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. किसी भी मामले में 3 साल में न्याय दिलाने का उद्देश्य है.
     
  • नाबालिग से रेप के दोषी को उम्र कैद या फांसी की सजा होगी. गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा होने का प्रावधान है. 
     
  • इस नए कानून के तहत राजद्रोह अब देशद्रोह माना जाएगा. जो पहले हत्या की धारा पहले 302 थी अब वह 101 होगी. ट्रायल के मामले में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी, पहले यह जरूरी नहीं होता था. किसी भी मामले में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस को पीड़ितों को देनी होगी.
     
  • आरोपी अगर 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होता है तो उसकी गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा. आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट की कॉपी पाने का अधिकार है.
     
  • केस खत्म होने के बाद जज को 43 दिन के अंदर फैसला देना होगा. फैसले के 7 दिन के अंदर सजा सुनानी होगी. कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध माना गया है. इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.

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