क्या कमलनाथ को चुनौती दे पाएंगे BJP के विवेक बंटी साहू? जानें छिंदवाड़ा का सियासी गणित

अमन तिवारी

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MP Election 2023; मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों (MP Assembly Elections) को लेकर बीजेपी ने अपना सबसे बड़ा दांव चल दिया है. बीजेपी (BJP) ने कांग्रेस से एक कदम आगे चलते हुये आज अपनी दूसरी लिस्ट (BJP Second List) भी जारी कर दी है. इस लिस्ट से बीजेपी ने साफ कर दिया है कि इस चुनाव में बीजेपी कोई भी जोखिम लेना नहीं चाहती है, यही कारण है कि पार्टी ने अपने कई दिग्गज नेताओं समेत मौजूदा केंद्रीय मंत्री और सांसदों को मैदान में उतारा है. मध्यप्रदेश की सबसे हाई प्राफाइल सीट छिंदवाड़ा (Chhindwara) से बीजेपी (BJP) ने विवेक बंटी साहू (Vivek Banti sahu) को मैदान में उतारा है. इसके बाद कांग्रेस (Congress) का पहला रिएक्शन भी सामने आ गया है.

सत्ता पक्ष में काबिज BJP कांग्रेस (Congress) की परंपरागत सीट तो बीजेपी (BJP) के गढ़ पर कांग्रेस सेंध लगाने की तैयारियों में जुटी हुई है. इन्हीं सब में प्रदेश की सबसे बड़ी VIP सीट छिंदवाड़ा (Chhindwara) है. यहां इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों की अपेक्षा कुछ अलग हो सकता है. दरअसल छिंदवाड़ा विधानसभा हो या फिर लोकसभा क्षेत्र यहां हमेशा से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है. यहां से लगातार कमलनाथ या उनके परिवार के लोग ही चुनकर आते हैं. यही कारण है कि बीजेपी कांग्रेस के इस किले को भेदना चाहती है. इसके लिए व्यूह रचना बनाने का काम लंबे समय से किया जा रहा था. यहां बीजेपी ने एक बार फिर अपने हारे हुये प्रत्याशी विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है. वे छिंदवाड़ा में वर्तमान में पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं.

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BJP से विवेक बंटी साहू ही क्यों?

छिंवाड़ा की राजनीति या कहें बीजेपी की सियासत में बीजेपी में विवेक साहू बंटी ही सबसे बड़ा नाम है. इनके अलावा पार्टी किसी अन्य बड़े चेहरे की तलाश में थी, लेकिन पार्टी ने एक बार फिर विवेक पर भरोसा जताया है, पिछले चुनाव में विवेक 25 हजार वोटों के अंतर से छिंदवाड़ा विधानसभा चुनाव हार गए थे. पार्टी को उम्मीद है कि विवेक इस बार कांग्रेस के इस किले को भेदने में सफलता हासिल कर सकते हैं. यही कारण है कि विवेक बंटी साहू को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है.

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क्या है छिंदवाड़ा का राजनीतिक इतिहास

बीजेपी छिंदवाड़ा में अपने आप को काबिज करने की लंबे समय से कोशिश करती आ रही है. यहां के पिछले 12 लोकसभा चुनावों की बात करें तो 11 बार कमलनाथ या फिर उनके परिवार का ही सदस्य चुनकर आया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद यहां से 9 बार सांसद चुनकर आए हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रदेश में केवल कांग्रेस की एक सीट आई थी, और वो भी कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ जीते थे. कमलनाथ को छिंदवाड़ा से केवल एक ही बार हार का मुंह देखना पड़ा है. जब यहां से बीजेपी ने सुंदरलाल पटवा को चुनावी मैदान में उतारा था. तब कमलनाथ को हार सामना करना पड़ा था.

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क्या है जातिगत समीकरण?

छिंदवाड़ा की आबादी करीब 21 लाख है. जिनमें से 75 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है. कमलनाथ के चलते छिंदवाड़ा में कई कंपनियां हैं, जिनमें गांव में रहने वाले हजारों आदिवासी मजदूरी का काम करते हैं. यही कारण है कि यहां से कांग्रेस हर बार चुनकर आती है. यहां मुख्य भूमिका में ओबीसी वोटर हैं, जो चुनाव की दिशा और दशा तय करते हैं.

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कैसा रहा बीजेपी का पिछला प्रदर्शन?

2018 के राज्य चुनावों में, बीजेपी ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश दोनों में सत्ता खो दी. लेकिन वह एक साल से अधिक समय के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराने में सफल रही. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों में से केवल 15 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 68 सीटें मिलीं. दूसरी तरफ 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में बीजेपी को 109 जबकि कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली थी.

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