BJP मध्यप्रदेश से किसे भेजेगी राज्यसभा, आज मालूम चलेगा! नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और केपी यादव चर्चा में

अभिषेक शर्मा

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Jaibhan Singh Pawaiya, Narottam Mishra, KP Yadav
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Rajya Sabha elections in MP: बीजेपी आज सभी 11 राज्यसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करेगी. इनमें एक सीट मध्यप्रदेश से है. राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है. इसलिए आज इन नामों का ऐलान किया जाएगा. चूंकि हमेंशा ही बीजेपी आलाकमान हर तरह के चुनाव के लिए स्थानीय समितियों से रायशुमारी कर नामों का पैनल तैयार करता था लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ है. जिसकी वजह से कयास लगाए जा रहे हैं कि नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया या फिर डॉ. केपी यादव में से किसी एक को मौका मिल सकता है.

बीजेपी के अंदरखाने में इस तरह की चर्चा है कि संभव है कि किसी अन्य राज्य के नेता को मध्यप्रदेश कोटे से राज्यसभा में भेजा जा सके, क्योंकि राज्यसभा में मध्यप्रदेश कोटे की 11 सीटों में से 7 सीटों पर बीजेपी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है और एक सीट जो सिंधिया के कोटे से रिक्त हुई है, उस पर बहुत संभव है कि बीजेपी किसी अन्य राज्य के ऐसे नेता को मध्यप्रदेश से राज्यसभा में जाने का मौका दे, जिसे केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह बनाए रखने के लिए राज्यसभा का सदस्य होना जरूरी हो,क्योंकि वह लोकसभा का सदस्य नहीं होगा.

ऐसी स्थिति में किसी अन्य राज्य के उम्मीदवार को भी मध्यप्रदेश से राज्यसभा में जाने का अवसर मिल सकता है. लेकिन मध्यप्रदेश के नेताओं की संभावनाएं भी जिंदा हैं. इसकी वजह खुद बीजेपी आलाकमान है. नरोत्तम मिश्रा लंबे समय से अमित शाह से जुड़े हुए हैं और विधानसभा चुुनाव में हार के बाद बीजेपी ने कहीं न कहीं उनको ये भरोसा दिया था कि उनको पार्टी राज्यसभा भेज सकती है. वे लंबे समय से बीजेपी के अंदर साइडलाइन भी चल रहे हैं. लेकिन पूर्व में ऑपरेशन लोटस जैसे अभियानों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके हैं, जिसकी वजह से बीजेपी आलाकमान का नरोत्तम मिश्रा पर आज भी भरोसा है.

क्यों जिंदा हैं जयभान सिंह और केपी यादव की भी उम्मीदें?

बात पहले जयभान सिंह पवैया की कर लेते हैं. जयभान सिंह पवैया राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा थे. उस समय बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. कारसेवकों का नेतृत्व कर रहे थे. ग्वालियर-चंबल में सिंधिया विरोध की राजनीति का नेतृत्व करने वाले वे अकेले नेता थे. सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद उनको रानी लक्ष्मीबाई के स्मारक पर ले जाने वाले भी वही थे. चूंकि वे राम मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा थे और हाल-फिलहाल में बीजेपी राम मंदिर बनाने के बावजूद अयोध्या का लोकसभा चुनाव हार गई. वहां सपा जीत गई. ऐसे में बीजेपी के धुर दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने के लिए जयभान सिंह पवैया को भी राज्यसभा में जाने का मौका दिया जा सकता है.

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डॉ. केपी यादव को अमित शाह ने दिया था भरोसा

अब बात करते हैं डॉ. केपी यादव की. ये वही केपी यादव हैं जो कभी सिंधिया के छोटे से कार्यकर्ता थे. सिंधिया खेमे द्वारा नजरअंदाज किया गया तो नाराज होकर बीजेपी में आ गए थे और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर गुना-शिवपुर से चुनाव लड़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को सवा लाख वोटों से हराकर इतिहास रच दिया था. लेकिन सिंधिया के बीजेपी में आ जाने के बाद से डॉ. केपी यादव खुद को भाजपा में अलग-थलग महसूस कर रहे थे. कई बार बीजेपी के अंदर सिंधिया गुट के साथ उनके टकराव की खबरें आई.

बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को दखल देना पड़ा. हालत ये हो गई कि खुद अमित शाह को लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जनता के बीच जनसभा में जाकर बोलना पड़ा कि डॉ. केपी यादव का भविष्य बीजेपी में सुरक्षित है और बीजेपी उनकी चिंता करेगी और उनको बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. अमित शाह को कहना पड़ा था कि केपी यादव के समर्थक उनको लेकर निश्चिंत रहें, बीजेपी उनका ध्यान रखेगी. इसलिए संभावना है कि उनको भी राज्यसभा भेजने का निर्णय बीजेपी ले सकती है.

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